भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में नई संभावनाएं
भारत-अमेरिका व्यापार समझौता अंतिम चरण में
अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है, जिससे दोनों देशों के व्यवसायियों और आम नागरिकों को लाभ मिलने की उम्मीद है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता अंतिम चरण में है। यह विकास न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत की वैश्विक आर्थिक रणनीति में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।लेविट ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत और व्यावसायिक संबंध बेहद मजबूत हैं। उन्होंने भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण सहयोगी बताया, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस प्रकार, भारत की भूमिका अमेरिका के लिए न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन गई है।
इस बीच, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अमेरिका यात्रा भी इस विकास की पुष्टि करती है, जहां वे क्वाड समूह की बैठक में भाग ले रहे हैं। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का यह गठबंधन हिंद-प्रशांत क्षेत्र को खुला, स्वतंत्र और सुरक्षित बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह गठबंधन 2004 में हिंद महासागर में आए सुनामी के बाद शुरू हुआ था और अब यह क्षेत्रीय स्थिरता का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
एक बड़ी राजनीतिक घोषणा के तहत, राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण को स्वीकार कर भारत में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि की है। यह शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगा।
व्यापार समझौते को लेकर दोनों पक्षों ने गति बढ़ा दी है, क्योंकि 9 जुलाई को अमेरिका उन देशों के लिए नए टैरिफ लागू करने वाला है जिनके साथ उसके व्यापारिक समझौते नहीं हैं। इसलिए, भारत की टीम, जिसका नेतृत्व वाणिज्य के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल कर रहे हैं, ने वाशिंगटन में गहन वार्ता की है। इन वार्ताओं का उद्देश्य व्यापारिक विवादों को दूर करना और सितंबर-अक्टूबर 2025 तक एक व्यापक द्विपक्षीय व्यापार समझौते का प्रारूप तैयार करना है।
यह समझौता न केवल भारत और अमेरिका के आर्थिक सहयोग को बढ़ाएगा, बल्कि भारतीय उद्योगों और उपभोक्ताओं के लिए भी नए अवसर खोलेगा। इससे छोटे और बड़े व्यापारिक घरानों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का बेहतर मौका मिलेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की वैश्विक आर्थिक साख को और मजबूत करेगा और दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग की नई इबारत लिखेगा।
कुल मिलाकर, भारत और अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचने जा रहे हैं, जहां कूटनीति और व्यापार दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद सिद्ध होंगे। आने वाले समय में इस समझौते की पुष्टि के साथ ही आम जनता को इसके सकारात्मक प्रभाव महसूस होंगे, जो देश की आर्थिक प्रगति में सहायक होंगे।