भारत की आपदा जोखिम न्यूनीकरण में वैश्विक नेतृत्व की प्रतिबद्धता

जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण बैठक में भारत की भूमिका
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस बैठक में मंत्रियों ने 13 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर "सभी के लिए अनुकूलता: एकजुटता, समानता और स्थिरता के माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण को सुदृढ़ बनाने" की घोषणा को अपनाया।
डॉ. मिश्रा ने अपने संबोधन में भारत के इस विश्वास को व्यक्त किया कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण केवल एक खर्च नहीं है, बल्कि यह हमारे साझा भविष्य में एक सामूहिक निवेश है। उन्होंने जी-20 डीआरआर कार्य समूह (2023) के गठन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका और बहु-खतरे की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को आगे बढ़ाने, पूर्वानुमानित कार्रवाई के लिए वित्तपोषण का लाभ उठाने और अनुकूलता के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की भारत की निरंतर प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) के माध्यम से भारत के नेतृत्व को भी दोहराया, जिसने 50 देशों को तकनीकी सहायता प्रदान की है।
डॉ. मिश्रा ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण एजेंडे के अंतर्गत साझेदारी की भावना को बढ़ावा देने और अफ्रीका के दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिए दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता की सराहना की।
डीआरआर में निवेश के लिए स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों पर मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन के दौरान, डॉ. मिश्रा ने जोखिम सूचना, वित्तपोषण रणनीति, नवाचार और स्थानीय स्तर के निवेश पर आधारित भारत के एकीकृत दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया। भारत के शासन प्रारूप ने डीआरआर को अपनी राष्ट्रीय अनुकूलन योजना, क्षेत्रीय नीतियों और वित्तपोषण साधनों में अंतर्निहित किया है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास योजना के प्रत्येक स्तर में अनुकूलता, समावेशिता और स्थिरता समाहित हो।
इस अवसर पर, डॉ. मिश्रा ने दक्षिण अफ्रीका के सहकारी शासन और पारंपरिक मामले मंत्री श्री वेलेंकोसिनी हलाबिसा, ऑस्ट्रेलिया की आपातकालीन प्रबंधन मंत्री सुश्री क्रिस्टी मैकबेन और अन्य जी-20 सदस्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठक करते हुए आपदा अनुकूलन की दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों को सुदृढ़ किया।
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. मिश्रा ने घरेलू स्तर पर तथा अंतर्राष्ट्रीय साझेदारियों के माध्यम से घोषणापत्र की प्रतिबद्धताओं को आगे बढ़ाने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।