भारत की नई रणनीति: म्यांमार से रेयर अर्थ एलीमेंट्स की खरीदारी

भारत की साहसिक पहल
चीन अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा है, लेकिन भारत ने अब इसका तोड़ निकालना शुरू कर दिया है। जब से चीन ने रेयर अर्थ एलीमेंट्स के निर्यात पर रोक लगाई है, भारत ने अपनी सप्लाई चेन को सुरक्षित करने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत अब म्यांमार के विद्रोही समूहों के साथ सीधे रेयर अर्थ खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है।रेयर अर्थ एलीमेंट्स, 17 खनिजों का एक समूह है, जिसे आज की डिजिटल दुनिया का 'सोना' माना जाता है। ये खनिज स्मार्टफोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों, लड़ाकू विमानों और मिसाइल सिस्टम जैसी उन्नत तकनीकों में आवश्यक हैं।
हालांकि, समस्या यह है कि वैश्विक सप्लाई का लगभग 80-90% हिस्सा चीन के नियंत्रण में है, और वह इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता है। जब भी उसे किसी देश पर दबाव बनाना होता है, वह इसकी सप्लाई रोक देता है।
भारत ने इस जोखिम भरे रास्ते को क्यों चुना? चीन की इस 'ब्लैकमेलिंग' से बचने के लिए, भारत अब अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नए रास्ते खोज रहा है। म्यांमार का कच्चिन राज्य रेयर अर्थ का एक बड़ा भंडार है, लेकिन इस क्षेत्र पर म्यांमार की सेना का नहीं, बल्कि कई विद्रोही गुटों का कब्जा है।
यह बातचीत भारत के लिए बेहद संवेदनशील और जोखिम भरी है, लेकिन चीन पर निर्भरता खत्म करने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम माना जा रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस डील के लिए "बातचीत एडवांस स्टेज में है"।