भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक: भविष्य की सैन्य रणनीति में बदलाव
ईरान-इज़रायल युद्ध और हाइपरसोनिक मिसाइलों का उदय
हाल ही में ईरान और इज़रायल के बीच हुए संघर्ष ने वैश्विक सैन्य रणनीतियों को प्रभावित किया है। इस युद्ध में हाइपरसोनिक मिसाइलों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया है। ये मिसाइलें कुछ ही मिनटों में हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर सकती हैं और मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम को लगभग बेअसर कर देती हैं। इस बदलाव ने देशों को अपनी सैन्य योजनाओं को फिर से तैयार करने के लिए मजबूर कर दिया है। हर प्रमुख राष्ट्र अब अपने हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम को तेज कर रहा है, और भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है।भारत का अगला कदम: 'ब्रह्मास्त्र' जो केवल चेतावनी नहीं, बल्कि जवाब भी होंगे। DRDO के प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत के अनुसार, भारत भविष्य की युद्ध तकनीकों को एक नई दिशा देने की तैयारी कर रहा है। जबकि 'ब्रह्मोस' मिसाइल को भारत की सबसे बड़ी ताकत माना जाता रहा है, DRDO अब उससे भी आगे की तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
DRDO दो प्रमुख तकनीकों पर काम कर रहा है: हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV), जिसका परीक्षण अगले 2-3 वर्षों में पूरा होने की उम्मीद है, और स्क्रैमजेट इंजन से युक्त क्रूज मिसाइल, जिसका सफल परीक्षण 1000 सेकंड तक किया जा चुका है। जैसे ही सरकार से मंजूरी मिलेगी, इसका पूर्ण विकास शुरू किया जाएगा।
इन अत्याधुनिक मिसाइलों की गति मैक 5 से मैक 7 तक होगी, यानी ध्वनि की गति से 5 से 7 गुना तेज। ये हथियार केवल चेतावनी नहीं देंगे, बल्कि सीधा और निर्णायक जवाब देने में सक्षम होंगे।
ब्रह्मोस-एनजी: अब हर फाइटर जेट पर ‘मौत की छाया’। DRDO ब्रह्मोस मिसाइल का अगला संस्करण तैयार कर रहा है — ब्रह्मोस-NG (Next Generation)। यह पुराने ब्रह्मोस वर्जन की तुलना में हल्का, कॉम्पैक्ट और अधिक बहुपरकारी होगा। इसकी विशेषता यह है कि इसे तेजस जैसे हल्के फाइटर जेट्स पर भी तैनात किया जा सकेगा। इसका मतलब है कि भारत की संपूर्ण वायुसेना अब ब्रह्मोस जैसी मारक शक्ति से लैस हो सकेगी।
सुदर्शन चक्र: भारत का 'स्वदेशी S-400'। रूस के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बराबरी करने के लिए भारत ने अपने लॉन्ग रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम पर काम तेज कर दिया है। 'कुशा प्रोजेक्ट' के तहत विकसित की जा रही इस प्रणाली को 'सुदर्शन चक्र' के नाम से जाना जा रहा है। यह प्रणाली 300+ किलोमीटर की दूरी से आने वाली दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन और हवाई हमलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम होगी।