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भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में भागीदारी ने भारत में विज्ञान और तकनीक के प्रति नई प्रेरणा का संचार किया है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि को युवा पीढ़ी और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा 'विकसित भारत' के सपने से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, संसद में इस पर चर्चा में विपक्षी सांसदों ने भाग नहीं लिया, जिससे राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। जानें इस मिशन के महत्व और शुभांशु की उपलब्धियों के बारे में।
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शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उपलब्धि

भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) मिशन में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की भागीदारी ने विज्ञान और तकनीक के प्रति एक नई प्रेरणा का संचार किया है। इस उपलब्धि को युवा पीढ़ी और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा 'विकसित भारत' के सपने से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, इस पर संसद में आयोजित विशेष चर्चा में विपक्षी सांसदों ने भाग नहीं लिया, जिससे राजनीतिक चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।


लोकसभा में 'अंतरिक्ष में भारत की छलांग और विकसित भारत 2047' विषय पर चर्चा प्रस्तावित थी, जो शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा के सम्मान में रखी गई थी। लेकिन विपक्ष ने इस चर्चा में शामिल होने से मना कर दिया। उनका कहना है कि पहले बिहार में मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।


इस मिशन के माध्यम से भारत ने अपने अंतरिक्ष उपकरणों की वास्तविक परिस्थितियों में जांच की और मानव स्वास्थ्य तथा पौधों की वृद्धि पर महत्वपूर्ण प्रयोग किए। विशेषज्ञों का मानना है कि ये अध्ययन भारत के आगामी गगनयान मिशन के लिए अत्यंत लाभकारी होंगे। इससे युवा पीढ़ी को विज्ञान, इंजीनियरिंग और अनुसंधान में करियर बनाने के लिए प्रेरणा मिल रही है।


कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भले ही चर्चा में भाग नहीं लिया, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया पर शुभांशु शुक्ला की सराहना की। उन्होंने कहा कि पूरे देश को उनकी इस उपलब्धि पर गर्व है और यह भारत के लिए अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भविष्य में और अधिक अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों का मार्ग प्रशस्त करेगा।