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भारत के राज्यों का कर्ज: CAG रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़े

भारत के राज्यों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है, जैसा कि नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की नई रिपोर्ट में बताया गया है। 2013-14 में 17.57 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 59.6 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। रिपोर्ट में राज्यों के कर्ज और जीएसडीपी अनुपात के आंकड़े चिंताजनक हैं, विशेषकर कोविड-19 के प्रभाव के बाद। जानें किन राज्यों का कर्ज सबसे अधिक है और कैसे ये आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहे हैं।
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भारत के राज्यों का कर्ज: CAG रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़े

CAG रिपोर्ट का सारांश

CAG रिपोर्ट: भारत के राज्यों पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ रहा है. नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में राज्यों का कुल सार्वजनिक कर्ज 17.57 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में बढ़कर 59.6 लाख करोड़ रुपये हो गया. इस प्रकार, दस वर्षों में कर्ज 3.3 गुना बढ़ गया है, जो राज्यों की अर्थव्यवस्था पर गंभीर दबाव डाल रहा है.


कर्ज का जीएसडीपी अनुपात

CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) के मुकाबले राज्यों का कर्ज 2013-14 में 16.66% था, जो 2022-23 में बढ़कर लगभग 23% हो गया है. इसका मतलब है कि राज्यों की आय के मुकाबले कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. इस दौरान कर्ज और राजस्व प्राप्तियों का अनुपात औसतन 150% तक बना रहा.


कर्ज के मामले में शीर्ष और निचले राज्य

सबसे ज्यादा और सबसे कम कर्ज वाले राज्य


वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में पंजाब का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात सबसे अधिक 40.35% दर्ज किया गया. इसके बाद नागालैंड (37.15%) और पश्चिम बंगाल (33.70%) का स्थान रहा. वहीं, ओडिशा ने कर्ज अनुपात को केवल 8.45% तक सीमित रखा. महाराष्ट्र (14.64%) और गुजरात (16.37%) भी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में रहे. कुल मिलाकर, आठ राज्यों का कर्ज-जीएसडीपी अनुपात 30% से अधिक रहा.


कोविड-19 का प्रभाव

कोविड-19 का असर


रिपोर्ट के अनुसार, 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण कर्ज का स्तर अचानक बढ़ गया. उस वर्ष यह जीएसडीपी के 25% तक पहुंच गया, जबकि इससे पहले यह 21% था. आर्थिक गतिविधियों में रुकावट और राजस्व में कमी के कारण राज्यों को अधिक कर्ज लेना पड़ा. इस दौरान केंद्र सरकार ने जीएसटी मुआवजा लोन और विशेष सहायता पैकेज के माध्यम से अतिरिक्त उधारी प्रदान की.


राजस्व घाटा पूरा करने के लिए कर्ज

दिन-प्रतिदिन के खर्च के लिए कर्ज


CAG ने चिंता जताई है कि 11 राज्यों ने 2022-23 में अपने कर्ज का बड़ा हिस्सा पूंजीगत खर्च पर लगाने के बजाय राजस्व घाटा पूरा करने में इस्तेमाल किया. इनमें आंध्र प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार और तमिलनाडु शामिल हैं. पंजाब में केवल 26% और आंध्र प्रदेश में मात्र 17% उधारी ही पूंजीगत परियोजनाओं पर खर्च हुई. हरियाणा और हिमाचल प्रदेश ने भी लगभग आधा हिस्सा विकास कार्यों में लगाया. यह उधारी नियमों के उल्लंघन के बराबर है, क्योंकि 'गोल्डन रूल' के अनुसार कर्ज केवल निवेश के लिए होना चाहिए.


कर्ज लेने के साधन

कर्ज लेने के तरीके


राज्य सरकारें बॉंड, ट्रेजरी बिल, बैंकों से कर्ज, आरबीआई की Ways and Means Advances और संस्थानों जैसे LIC व NABARD से उधारी लेती हैं. इन्हीं से मिलकर कुल सार्वजनिक कर्ज बनता है, जिसका विश्लेषण CAG ने इस रिपोर्ट में किया है.