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भारत को मिली बड़ी राहत: अंडमान सागर में मिला कच्चे तेल का विशाल भंडार

भारत को अंडमान सागर में एक बड़ा कच्चे तेल का भंडार मिलने की जानकारी मिली है, जो देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को नई दिशा दे सकता है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस खोज की पुष्टि की है और इसे आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया है। यदि यह भंडार वाणिज्यिक रूप से उपयोगी साबित होता है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने में मदद कर सकता है। जानें इस खोज के संभावित प्रभावों के बारे में।
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भारत को मिली बड़ी राहत: अंडमान सागर में मिला कच्चे तेल का विशाल भंडार

भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को नई दिशा

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के कारण वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में चिंता बढ़ रही है। लेकिन भारत के लिए एक सकारात्मक खबर आई है। देश में पहली बार अंडमान सागर में एक बड़ा कच्चे तेल का भंडार मिलने का दावा किया गया है, जो भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को एक नई दिशा दे सकता है.


केंद्रीय मंत्री का खुलासा

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस खोज की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि भंडार की खुदाई का कार्य अभी चल रहा है। यदि यह भंडार वाणिज्यिक रूप से उपयोगी साबित होता है, तो यह भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है.


अंडमान सागर में मिला विशाल क्रूड ऑयल रिजर्व

हरदीप पुरी ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में पुष्टि की कि अंडमान सागर में एक महत्वपूर्ण कच्चे तेल का भंडार मिला है। खुदाई अभी प्रारंभिक चरण में है, लेकिन संकेत सकारात्मक हैं। उन्होंने इस खोज की तुलना दक्षिण अमेरिकी देश गयाना से की, जहां 11.6 अरब बैरल तेल और गैस के भंडार के चलते देश वैश्विक स्तर पर 17वें स्थान पर पहुंच गया.


इकोनॉमी को 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की उम्मीद

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह खोज भारत की मौजूदा $3.7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था को भविष्य में लगभग पांच गुना बढ़ाकर $20 ट्रिलियन तक पहुंचाने में मदद कर सकती है। यदि यह भंडार वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपयुक्त साबित होता है, तो यह भारत की ऊर्जा सुरक्षा और विदेशी निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.


भारत अब भी 85% तेल आयात पर निर्भर

वर्तमान में, भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का लगभग 85% हिस्सा रूस, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों से आयात करता है। इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव पड़ता है और वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इजरायल-ईरान संघर्ष जल्द समाप्त नहीं होता, तो कच्चे तेल की कीमतें 150 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर जा सकती हैं.