भारत ने सिकल सेल रोग के लिए स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी लॉन्च की
भारत की नई चिकित्सा तकनीक
नई दिल्ली। भारत ने सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिए अपनी पहली स्वदेशी CRISPR-आधारित जीन थेरेपी, बिरसा 101 (BIRSA 101) का अनावरण किया है। यह जीन थेरेपी एक चिकित्सा विधि है, जिसमें किसी व्यक्ति की कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री को संशोधित कर रोग का उपचार या रोकथाम की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य रोग के विकास के लिए जिम्मेदार दोषपूर्ण जीन को सुधारना है।
यह ध्यान देने योग्य है कि दैहिक जीन थेरेपी (Somatic gene therapy) केवल गैर-प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है, जिसका प्रभाव वंशानुगत नहीं होता। वहीं, जर्मलाइन जीन थेरेपी प्रजनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है, जो संतानों में भी पहुंच सकती है। इस जीन थेरेपी का नाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में रखा गया है। इसमें CRISPR-Cas9 तकनीक का उपयोग किया गया है, जो एक सटीक आनुवंशिक सर्जरी है। इसका उद्देश्य न केवल सिकल सेल रोग का इलाज करना है, बल्कि अन्य आनुवंशिक विकारों के लिए भी इसके संभावित उपयोग हैं। बिरसा 101 को एक कम लागत वाले विकल्प के रूप में विकसित किया गया है, जो ₹20-25 करोड़ के वैश्विक उपचारों को भारतीय संदर्भ में अधिक सस्ती समाधान में बदलने की क्षमता रखता है। इसे नई दिल्ली स्थित CSIR-इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) द्वारा विकसित किया गया है। IGIB ने सिकल सेल रोग के लिए क्रिस्पर प्लेटफॉर्म को सस्ती चिकित्सा में विस्तारित करने के लिए सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SIIPL) के साथ सहयोग किया है। यह चिकित्सा रोग का कारण बनने वाले आनुवंशिक कोड के दोषपूर्ण हिस्से को संशोधित करती है। इसे एक बार दिया जाता है, जिसके बाद शरीर सिकल के आकार की कोशिकाओं के स्थान पर सामान्य लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन शुरू कर देता है।
