भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सुनहरा अवसर: 500 अरब डॉलर का कारोबार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव
भारत की प्रमुख तकनीकी और आईटी कंपनियां एक महत्वपूर्ण अवसर के करीब हैं, जो आने वाले वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। यह अवसर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से संबंधित है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय टेक सर्विसेज कंपनियां AI के माध्यम से 500 अरब डॉलर (लगभग 41 लाख करोड़ रुपये) का नया व्यापार स्थापित कर सकती हैं। यह राशि इतनी विशाल है कि यह भारत के कुल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा है।कैसे होगा यह संभव: यह सब जेनरेटिव AI (GenAI) की शक्ति से संभव होगा। आपने चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे उपकरणों का नाम सुना होगा, जो जेनरेटिव AI की क्षमताओं का उदाहरण हैं। यह तकनीक व्यापार करने के तरीके को पूरी तरह से बदल रही है। भारत की प्रमुख आईटी कंपनियां जैसे TCS, Infosys और Wipro पहले से ही इस तकनीक में भारी निवेश कर रही हैं और अपने हजारों कर्मचारियों को AI की ट्रेनिंग दे रही हैं ताकि वे भविष्य के लिए तैयार हो सकें।
रिपोर्टों के अनुसार, यह 500 अरब डॉलर का अवसर अगले छह से आठ वर्षों में वास्तविकता बन सकता है। इसका अर्थ है कि 2030 के आसपास भारतीय आईटी उद्योग में AI का प्रमुख स्थान होगा।
किन क्षेत्रों में होगी AI की सबसे अधिक मांग? सॉफ्टवेयर और तकनीकी क्षेत्र में AI की मांग सबसे अधिक रहने की उम्मीद है। बैंकिंग और वित्त क्षेत्र में, बैंक अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए AI का उपयोग करेंगे। रिटेल और ई-कॉमर्स में, ऑनलाइन खरीदारी का अनुभव और भी बेहतर होगा। स्वास्थ्य सेवा में, AI बीमारियों की पहचान से लेकर उपचार तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह ध्यान देने योग्य है कि AI का लाभ केवल आईटी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका प्रभाव हर क्षेत्र पर पड़ेगा।
चुनौतियां: हालांकि, यह रास्ता इतना सरल नहीं है। भारतीय कंपनियों को अमेरिका और यूरोप की बड़ी तकनीकी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, डेटा सुरक्षा और AI के सही उपयोग जैसी चुनौतियां भी होंगी। लेकिन अच्छी बात यह है कि भारतीय आईटी कंपनियां इन चुनौतियों के लिए तैयार हैं और उनके पास कुशल इंजीनियरों की एक बड़ी टीम है, जो इस सपने को साकार कर सकती है।