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भारत में जन्म दर में गिरावट: आर्थिक चुनौतियों का प्रभाव

भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है, लेकिन जन्म दर में गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्थिक तंगी, नौकरी की असुरक्षा और आवास की कमी जैसे कारणों से लोग कम बच्चे पैदा कर रहे हैं। 41% महिलाएं और 33% पुरुष दो बच्चों का परिवार चाहते हैं, लेकिन जन्म दर घटकर 1.9 हो गई है। जानें इस समस्या के पीछे के कारण और लोगों की सोच।
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भारत की जनसंख्या और जन्म दर की चिंताजनक स्थिति

भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन चुका है। लेकिन इस उपलब्धि के साथ एक गंभीर समस्या भी सामने आई है। हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जन्म दर में लगातार कमी आ रही है। स्वतंत्रता के बाद से जनसंख्या वृद्धि एक बड़ी चुनौती बन गई है।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय लोग कम बच्चे पैदा करने के इच्छुक नहीं हैं, बल्कि आर्थिक समस्याओं के कारण वे ऐसा करने में असमर्थ हैं। इस अध्ययन में शामिल 14 देशों के आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश दंपत्ति दो बच्चों का परिवार चाहते हैं। भारत में 41% महिलाएं और 33% पुरुष दो बच्चों की चाह रखते हैं।

हालांकि, जन्म दर घटकर 1.9 हो गई है, जो कि 2.1 के औसत से कम है। यह दर विश्व औसत के अनुरूप है, लेकिन इसके पीछे की वास्तविकता चिंताजनक है। रिपोर्ट में कुछ प्रमुख कारणों का उल्लेख किया गया है, जैसे आर्थिक तंगी, नौकरी की असुरक्षा और आवास की कमी, जो दंपत्तियों को कम बच्चे पैदा करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

भारत में 38% लोगों ने आर्थिक तंगी को बच्चे पैदा न करने का कारण बताया है, जबकि 22% ने आवास की कमी, 21% ने नौकरी की असुरक्षा और 18% ने अपने साथी के इनकार को इसका कारण बताया है। यह सर्वेक्षण दर्शाता है कि लोग स्वेच्छा से छोटे परिवार का चुनाव नहीं कर रहे हैं, बल्कि परिस्थितियों के कारण उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।