भारत में जीएसटी का आठवां वर्ष: रिकॉर्ड राजस्व संग्रह और करदाताओं की संतुष्टि

जीएसटी का महत्वपूर्ण मील का पत्थर
भारत की अप्रत्यक्ष कर प्रणाली, वस्तु एवं सेवा कर (GST), अब अपने लागू होने के आठवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इस अवसर पर, जीएसटी ने लगातार रिकॉर्ड स्तर पर राजस्व संग्रह किया है, जो करदाताओं के बीच इसकी स्वीकृति को दर्शाता है। जून में जीएसटी संग्रह ₹1.61 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11% की वृद्धि दर्शाता है। यह लगातार 16वां महीना है जब जीएसटी संग्रह ₹1.4 लाख करोड़ से अधिक रहा है, जो अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2023-24 में औसत मासिक जीएसटी संग्रह ₹1.67 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वित्त वर्ष के ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक है।जीएसटी की सफलता का एक और प्रमाण लोकलसर्कल्स द्वारा किए गए हालिया सर्वेक्षण में देखा गया है। इस सर्वेक्षण में शामिल 85% करदाताओं ने जीएसटी प्रणाली के प्रति अपनी संतुष्टि व्यक्त की है। करदाताओं की संतोष का मुख्य कारण अनुपालन प्रक्रियाओं का सरलीकरण और नियमों की जटिलता में कमी है।
जीएसटी को 1 जुलाई, 2017 को 'एक राष्ट्र, एक कर' के सिद्धांत के तहत लागू किया गया था। इसका उद्देश्य विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एकत्रित करना, 'कर पर कर' की समस्या को समाप्त करना और व्यापार को सरल बनाना था। पिछले सात वर्षों में, इसने भारतीय अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाई है और कर आधार को विस्तारित किया है। डिजिटल चालान और ई-वे बिल जैसी पहलों ने कर चोरी को रोकने और लॉजिस्टिक्स को सुव्यवस्थित करने में मदद की है।
जीएसटी प्रणाली अब काफी सुव्यवस्थित हो चुकी है, जिससे व्यापार करने में आसानी हुई है और सरकार के लिए राजस्व संग्रह में स्थिरता आई है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सफल सुधार के रूप में उभरी है।