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भारत में डॉक्टरों की कमी: स्वास्थ्य मंत्री ने दी जानकारी

भारत में डॉक्टरों की संख्या में कमी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने हाल ही में संसद में इस मुद्दे पर जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि हर 811 लोगों पर केवल एक डॉक्टर है। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा में वृद्धि और ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। जानें इस विषय पर और क्या जानकारी दी गई है और सरकार किस प्रकार इस समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रही है।
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भारत में डॉक्टरों की कमी: स्वास्थ्य मंत्री ने दी जानकारी

डॉक्टरों की संख्या और बढ़ती बीमारियाँ


बीमारियों और मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि एंटीबायोटिक्स, जो पहले प्रभावी थीं, अब अपनी क्षमता खो रही हैं। इस स्थिति को देखते हुए, मरीजों की देखभाल के लिए डॉक्टरों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता है। लेकिन, सरकार द्वारा जारी किए गए नए आंकड़ों ने देश में डॉक्टरों की कमी को फिर से उजागर किया है। मंगलवार को संसद में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, भारत में हर 811 व्यक्तियों के लिए केवल एक डॉक्टर उपलब्ध है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि देश में 1,388,185 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं, जबकि 751,768 आयुष प्रणाली के डॉक्टर हैं।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का बयान

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि यदि 80 प्रतिशत एलोपैथिक और आयुष डॉक्टर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, तो देश में डॉक्टर-से-जनसंख्या अनुपात 1:811 है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा शिक्षा में काफी वृद्धि हुई है। 2014 की तुलना में, चिकित्सा कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 818 हो गई है। MBBS सीटें 51,348 से बढ़कर 128,875 हो गई हैं, और PG सीटें 31,185 से बढ़कर 82,059 हो गई हैं।


डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उपाय

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने ग्रामीण, पिछड़े और आदिवासी क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। एक केंद्रीय योजना के तहत, जिला अस्पतालों से जुड़े 157 नए मेडिकल कॉलेजों में से 137 पहले से ही चालू हो चुके हैं। इसके अलावा, MBBS पाठ्यक्रम में परिवार गोद लेने की योजना को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत, मेडिकल कॉलेज गांवों को गोद लेते हैं, और MBBS छात्र नियमित रूप से इन गांवों में रहने वाले परिवारों की देखरेख करते हैं। इससे टीकाकरण, पोषण, मासिक धर्म की स्वास्थ्य देखभाल, आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन, स्वस्थ जीवनशैली, मलेरिया और डेंगू नियंत्रण, और दवा के नियमों का पालन जैसे मामलों पर निरंतर निगरानी होती है।


पोस्टग्रेजुएट छात्रों की तैनाती

NMC के जिला निवास कार्यक्रम के तहत, मेडिकल कॉलेजों के दूसरे और तीसरे वर्ष के PG छात्रों को जिला अस्पतालों में तैनात किया जा रहा है। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में काम करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए हार्ड-एरिया भत्ता और सरकारी आवास जैसे लाभ भी प्रदान किए गए हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि NMC के नए नियम विदेशी डॉक्टरों को भारत में अस्थायी पंजीकरण लेने और प्रशिक्षण, अनुसंधान, फेलोशिप, स्वैच्छिक सेवा या सुपर-स्पेशियलिटी कार्यक्रमों में काम करने की अनुमति देते हैं।