भारत में नई ट्राइवेलेंट फ्लू वैक्सीन का आगाज़
फ्लू वैक्सीन में बदलाव
फ्लू या इन्फ्लूएंजा वायरस तेजी से बदलते रहते हैं, जिसके कारण हर साल फ्लू के टीके के संघटन में बदलाव करना आवश्यक होता है। पहले भारत में क्वाड्रिवेलेंट फ्लू वैक्सीन का उपयोग किया जाता था, जो चार प्रकार के फ्लू वायरस से सुरक्षा प्रदान करती थी। लेकिन मार्च 2020 के बाद से, इन्फ्लूएंजा बी यामागाटा (B Yamagata) वायरस का कोई मामला नहीं मिला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा अब समाप्त हो गया है, इसलिए इसे वैक्सीन में शामिल करने की आवश्यकता नहीं है। इसी कारण WHO और भारत के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने 2025-26 सीज़न के लिए ट्राइवेलेंट वैक्सीन के उपयोग की सिफारिश की है। भारत अब उन 40 देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने इस नई वैक्सीन को अपनाया है।नई वैक्सीन का नाम 'वैक्सीफ्लू-ट्राइवेलेंट' (Vaxiflu-Trivalent) है, जिसे 6 महीने और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को लगाया जा सकता है। यह वैक्सीन मुख्य रूप से तीन सक्रिय स्ट्रेन्स - H1N1, H3N2, और B/Victoria वायरस से सुरक्षा प्रदान करेगी। जायडस लाइफसाइंसेज के प्रबंध निदेशक डॉ. शार्विल पटेल ने कहा, "हम वैश्विक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए टीकों तक समय पर पहुंच बनाने में विश्वास रखते हैं, क्योंकि ये निवारक स्वास्थ्य सेवा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हमें विश्वास है कि इससे टीका-रोकथाम योग्य बीमारियों और संबंधित जटिलताओं में कमी आएगी।" मौसमी फ्लू एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है, जिसके कारण हर साल 30 से 50 लाख गंभीर मामले सामने आते हैं और 2,90,000 से 6,50,000 लोगों की सांस संबंधी बीमारियों से मृत्यु होती है। यह बीमारी विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों से ग्रसित लोगों को अधिक प्रभावित करती है।