भारत में नकली खाद संकट: किसानों की मेहनत पर संकट

भारत में नकली खाद का संकट: किसानों की मेहनत पर संकट
भारत में नकली खाद संकट: फसलें जल रही हैं, किसान परेशान हैं, सरकार क्यों चुप है?: (नकली खाद संकट 2025) अब यह केवल एक स्थानीय समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय कृषि संकट बन चुका है। छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों से फसलें जलने और भूमि बंजर होने की लगातार रिपोर्टें आ रही हैं।
किसान अपने खेतों में बीज, मेहनत और विश्वास बोते हैं। लेकिन अब यूरिया की थैली में चॉक पाउडर, डीएपी की बोरी में POP और सूक्ष्म पोषक तत्वों के नाम पर ज़हर बेचा जा रहा है। ₹1350 की असली डीएपी की जगह ₹130 की नकली खाद बेची जा रही है, जिससे नेटवर्क में शामिल लोग 10 गुना मुनाफा कमा रहे हैं (fertilizer scam 2025)।
इस ज़हर की आपूर्ति में फैक्ट्री मालिक, ट्रांसपोर्टर, अधिकारी और कई बार सरकारी तंत्र के लोग भी शामिल होते हैं।
खेतों में फसल नहीं, संकट उग रहा है
अप्रैल 2025 में ओडिशा के गंजाम में नकली कीटनाशक ने 120 एकड़ धान को नष्ट कर दिया। उत्तर प्रदेश के जालौन में जून 2025 में 200 से अधिक किसानों ने तहसील पर धरना दिया, जब उनकी पूरी फसल पीली होकर सूख गई।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में सरकारी डिपो में नकली यूरिया की बार-बार बरामदगी अब एक सामान्य घटना बन गई है।
हर बार किसान को ही दोषी ठहराया जाता है—'गलत जगह से खरीदा', 'सही जांच नहीं की'—लेकिन कोई यह नहीं पूछता कि खाद बिना BIS मार्किंग के बाजार में कैसे बिक रही है (BIS mark fertilizer) और मंडी निरीक्षक किस नींद में हैं।
क्या सरकार जागेगी या किसानों की मिट्टी ही सबूत बनेगी?
राजस्थान के मंत्री किरोड़ी लाल मीणा की छापेमारी सराहनीय रही, लेकिन अब सभी की नजरें केंद्र सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हैं।
क्या ईडी, सीबीआई, एनआईए जैसी संस्थाएं नकली खाद माफिया पर भी कार्रवाई करेंगी?
क्या भारत की मिट्टी और किसान की मेहनत किसी जांच एजेंसी के एजेंडे पर आएगी?
आवश्यकता है कि खाद परीक्षण प्रयोगशालाएं सक्रिय हों, मंडी निरीक्षण नियमित हो और uncertified कंपनियों की पुनः एंट्री पर रोक लगे।
यह संकट केवल आर्थिक नहीं है, बल्कि यह नैतिक और सांस्कृतिक भी है। भारतीय कृषि केवल 'उपज' नहीं है, यह एक परंपरा, विश्वास और संस्कृति है।