भारत में नया इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट 2025 लागू

इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट 2025
इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट 2025: केंद्र सरकार ने 1 सितंबर 2025 से नया इमिग्रेशन और फॉरेनर्स एक्ट लागू किया है। यह कानून भारत में आव्रजन से संबंधित मामलों को नियंत्रित करेगा और नकली दस्तावेजों के माध्यम से देश में प्रवेश करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस प्रस्ताव को 4 अप्रैल 2025 को मंजूरी दी थी, और इसे संसद के बजट सत्र में पारित किया गया था। इसके बाद गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव नितेश कुमार व्यास ने अधिसूचना जारी की।
इस कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति नकली पासपोर्ट, वीजा या अन्य यात्रा दस्तावेजों का उपयोग करके भारत में प्रवेश करता है, रुकता है या बाहर निकलने का प्रयास करता है, तो उसे न्यूनतम 2 साल और अधिकतम 7 साल की सजा का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही, उस पर 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
विदेशियों पर नजर रखना आसान
विदेशियों पर नजर रखना आसान
नए कानून में न केवल यात्रियों बल्कि संस्थानों और सेवाओं की जिम्मेदारी भी निर्धारित की गई है। इसके अंतर्गत, सभी होटल, विश्वविद्यालय, कॉलेज, अस्पताल और नर्सिंग होम को विदेशी नागरिकों की जानकारी सरकार को प्रदान करनी होगी। इससे अवैध रूप से रह रहे विदेशियों पर नजर रखना आसान होगा।
पहले से सूचना देना अनिवार्य
पहले से सूचना देना अनिवार्य
सभी अंतरराष्ट्रीय एयरलाइंस और जहाजों को भारत में प्रवेश के समय अपने यात्रियों और क्रू की विस्तृत जानकारी इमिग्रेशन अथॉरिटी को देनी होगी। इसमें पैसेंजर मैनिफेस्ट और अग्रिम सूचना देना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था भारत में आने वाले विदेशी यात्रियों की पहचान और सत्यापन सुनिश्चित करेगी।
फर्जी दस्तावेजों के मामलों में तेजी से वृद्धि
फर्जी दस्तावेजों के मामलों में तेजी से वृद्धि
सरकार का मानना है कि यह कानून देश की सुरक्षा को मजबूत करेगा और उन लोगों पर कठोर कार्रवाई संभव बनाएगा जो नकली पहचान के सहारे भारत में घुसपैठ करते हैं। हाल के वर्षों में फर्जी दस्तावेजों के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके चलते कड़े कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
सीमा और आंतरिक सुरक्षा दोनों के लिए जरुरी
सीमा और आंतरिक सुरक्षा दोनों के लिए जरुरी
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून न केवल अवैध प्रवासियों पर नियंत्रण करेगा, बल्कि आतंकवादी गतिविधियों, मानव तस्करी और जाली पहचान के मामलों को रोकने में भी सहायक होगा। यह कदम भारत की सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।