भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की चेतावनी
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 22 अगस्त 2025 को देश के कई हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इस अलर्ट में 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है, जबकि महाराष्ट्र के लिए येलो अलर्ट भी जारी किया गया है। यह मानसून का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिसमें बारिश की गतिविधियों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
कौन से राज्यों में भारी बारिश की संभावना है?
IMD के अनुसार, उत्तरी, पूर्वी और मध्य भारत के कई क्षेत्रों में भारी वर्षा की संभावना है। जिन 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए चेतावनी दी गई है, उनमें शामिल हैं: उत्तरी भारत: जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान। मध्य भारत: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र। पूर्वी भारत: बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, सिक्किम। पूर्वोत्तर भारत: अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा। अन्य क्षेत्र: कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा, आंतरिक कर्नाटक, केरल और माहे, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह।
महाराष्ट्र के लिए येलो अलर्ट
मौसम विभाग ने महाराष्ट्र के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, जिसका अर्थ है कि राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश की संभावना है। इससे अस्थायी जलभराव, खराब मौसम और यातायात में बाधा उत्पन्न हो सकती है। मुंबई, पुणे, और कोल्हापुर जैसे शहरों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। तटीय क्षेत्रों में समुद्र की स्थिति भी खराब हो सकती है, इसलिए मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया गया है।
भारी बारिश के संभावित प्रभाव
भारी बारिश से निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं: शहरी क्षेत्रों में जलभराव और सड़कों पर यातायात प्रभावित हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में नदी-नालों का जलस्तर बढ़ सकता है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है। पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ सकती हैं। खराब मौसम के कारण विमानन और सड़क परिवहन में देरी हो सकती है। किसानों के लिए फसलों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
नागरिकों के लिए सुझाव
सभी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे सतर्क रहें और निम्नलिखित सावधानियां बरतें: स्थानीय मौसम अपडेट पर ध्यान दें। भारी बारिश के दौरान बाहरी गतिविधियों को सीमित करें। यात्रा करने से पहले यातायात की स्थिति की जांच करें। जलभराव वाले क्षेत्रों में वाहन चलाने से बचें। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के प्रति सतर्क रहें।