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भारत में महंगाई दर आरबीआई के अनुमान से कम रहने की संभावना: एसबीआई रिपोर्ट

भारतीय स्टेट बैंक की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में महंगाई दर वित्त वर्ष 26 और 27 के लिए आरबीआई के अनुमान से कम रहने की संभावना है। रिपोर्ट में महंगाई में कमी के कई कारण बताए गए हैं, जैसे मानसून की अच्छी स्थिति और खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार। जानें इस रिपोर्ट में और क्या कहा गया है और भविष्य में महंगाई दर के अनुमान क्या हैं।
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भारत में महंगाई दर आरबीआई के अनुमान से कम रहने की संभावना: एसबीआई रिपोर्ट

महंगाई दर में कमी की उम्मीद

नई दिल्ली - भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, वित्त वर्ष 26 और 27 के लिए महंगाई दर के अनुमान से कम रहने की संभावना है। यह जानकारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति को एक नियामक दृष्टिकोण से देखना चाहिए, जो भारत की विशेष आर्थिक स्थिति को दर्शाता है।


एसबीआई ने बताया कि महंगाई में कमी के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि मानसून की अच्छी स्थिति, जलाशयों का उच्च स्तर, खाद्यान्न का पर्याप्त भंडार और जीएसटी में सुधार। ये सभी तत्व मिलकर महंगाई को अपेक्षा से अधिक तेजी से कम कर रहे हैं। आरबीआई ने वित्त वर्ष 26 के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान 50 आधार अंक घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है, जो कि अप्रैल के अनुमान से 160 आधार अंक कम है। हालांकि, एसबीआई का मानना है कि आने वाले वित्त वर्ष 26 और 27 में महंगाई दर अपेक्षा से कम रहेगी। केंद्रीय गवर्नर ने वित्त वर्ष 26 के लिए रिटेल महंगाई दर का अनुमान घटाकर 2.6 प्रतिशत किया, जो कि पहले 3.1 प्रतिशत था।


चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 2.1 प्रतिशत से घटाकर 1.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 3.1 प्रतिशत से घटाकर 1.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 4 प्रतिशत कर दिया गया है।


आरबीआई ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही में महंगाई 4.5 प्रतिशत रह सकती है। इसके अलावा, अक्टूबर की मौद्रिक नीति में वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.8 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि वैश्विक अनिश्चितताओं और अस्थिर बाजारों को देखते हुए, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा दरों को अपरिवर्तित रखने का निर्णय उचित प्रतीत होता है। आरबीआई का संचार अपेक्षाओं को दिशा देने और नीतिगत दिशा में स्पष्टता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।