भारत विभाजन की पीड़ा: स्मृति दिवस पर विचार

भारत विभाजन की विभीषिका पर संगोष्ठी
भोपाल। भारत का विभाजन एक ऐसा काला अध्याय है, जिसकी पीड़ा को देशवासी कभी नहीं भुला सकते। यह केवल क्षणों की बात नहीं, बल्कि सदियों की त्रासदी है, जो आज भी लोगों के दिलों में गहरी टीस छोड़ती है। इस विषय पर विचार व्यक्त करने के लिए विभाजन की विभीषिका स्मृति दिवस पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी और जनसंपर्क विभाग के पूर्व संचालक श्री लाजपत आहूजा ने अपने विचार साझा किए।
श्री आहूजा ने कहा कि विभाजन के दर्द को मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, क्योंकि मेरे परिवार ने इसे सहा है। संगोष्ठी में प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि 1947 में बंटवारे के बाद भी हम रक्तपात को रोकने में असफल रहे। इसलिए, विभाजन की पीड़ा को समझना आवश्यक है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। हमें अपने इतिहास की गहरी समझ होनी चाहिए, जिससे हम जान सकें कि हम किस प्रकार वर्तमान स्थिति तक पहुंचे हैं और भविष्य में हमें क्या करना है।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी हमारे बीच मतभेद थे, जिनका लाभ अंग्रेजों ने उठाया। हमें अपनी कमियों को पहचानना होगा और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना होगा। यदि हम सतर्क होते, तो बंटवारा टल सकता था। बंटवारे के बाद देश ने सांप्रदायिक दंगों का सामना किया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी ही देश की एकता और अखंडता को बनाए रख सकती है।
श्री लाजपत आहूजा ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की घोषणा करके पीड़ितों को अपने दर्द को साझा करने का अवसर दिया है। उन्होंने विभाजन के दौरान महिलाओं और युवतियों के साथ हुए अत्याचारों का उल्लेख किया और कहा कि त्रासदी के पीड़ितों को न्याय नहीं मिला।
पत्र सूचना कार्यालय के अपर महानिदेशक श्री प्रशांत पाठराबे ने स्वतंत्रता संग्राम और विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
कार्यक्रम में शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर अजय अग्रवाल, पत्र सूचना कार्यालय के निदेशक श्री मनीष गौतम और केंद्रीय सूचना संचार ब्यूरो के उपनिदेशक श्री शारिक नूर ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक श्री पराग मांदले ने किया। इस अवसर पर कई गणमान्य नागरिक और छात्राएं भी उपस्थित थीं।