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भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर 87.82 पर खुला

भारतीय रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की मजबूती के साथ 87.82 पर खुला, जो कि दो हफ्तों में पहली बार 88 के नीचे है। व्यापार वार्ताओं के पुनः आरंभ होने से निवेशकों का विश्वास बढ़ा है। हालांकि, बाजार में सतर्कता बनी हुई है, खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक के चलते। जानें इस स्थिति का अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर 87.82 पर खुला

भारतीय रुपया की मजबूती

मुंबई: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ताओं के पुनः आरंभ होने के चलते बुधवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 23 पैसे की मजबूती के साथ 87.82 पर खुला। पिछले दिन, दोपहर के कारोबार में 7 पैसे की बढ़त के बाद रुपया 88.09 पर बंद हुआ था। आज की शुरुआत में, यह दो हफ्तों में पहली बार 88 के नीचे खुलने का संकेत दे रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि रुपया 88.20 के स्तर पर प्रतिरोध का सामना कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि रुपया 87.90 के नीचे गिरता है, तो यह 87.50 या 87.20 की ओर बढ़ सकता है।


डॉलर इंडेक्स और वैश्विक बाजार

इस बीच, डॉलर इंडेक्स 0.11 प्रतिशत की बढ़त के साथ 96.73 पर कारोबार कर रहा था, जो छह मुद्राओं के समूह के मुकाबले डॉलर की मजबूती को दर्शाता है। वायदा कारोबार में ब्रेंट क्रूड 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 68.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। अमेरिका में मंदी की संभावनाओं के बीच डॉलर में नरमी से उभरते बाजारों की मुद्राओं को समर्थन मिला है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री मार्क जैंडी ने हाल ही में कहा कि अमेरिका के राज्य-स्तरीय आंकड़े दर्शाते हैं कि देश मंदी की कगार पर है।


अर्थव्यवस्था की स्थिति

उन्होंने कहा कि खर्च, नौकरियों और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़ों के आधार पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी के बहुत करीब है। इसके अलावा, विश्लेषकों ने रुपये में तेजी का श्रेय द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के प्रति नए सिरे से आशावाद को दिया है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है और दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में सुधार हो सकता है।


निवेशकों की सतर्कता

हालांकि, सकारात्मक रुख के बावजूद बाजार में सतर्कता बनी हुई है। निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिसमें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। फेड का रुख वैश्विक पूंजी प्रवाह और मुद्रा मूल्यों को प्रभावित कर सकता है। विश्लेषकों ने संकेत दिया है कि ब्याज दरों में अचानक बदलाव से अस्थिरता बढ़ सकती है। नरम रुख वाली टिप्पणी से डॉलर में गिरावट आ सकती है, जबकि आक्रामक रुख से डॉलर में सुधार हो सकता है।