भारतीय सेना को मिलेंगे अपाचे हेलीकॉप्टर: पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा में होगी मजबूती

अपाचे हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी का समय
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारतीय सेना पश्चिमी सीमा पर अपनी सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस क्रम में, अमेरिकी अपाचे AH-64E अटैक हेलीकॉप्टरों का पहला बैच जल्द ही सेना को सौंपा जा सकता है, जिससे जोधपुर में स्थित पहला अपाचे स्क्वाड्रन सक्रिय हो सकेगा। इस स्क्वाड्रन की स्थापना मार्च 2024 में की गई थी, लेकिन अब तक ये हेलीकॉप्टर सेना को नहीं मिल पाए थे.
पहला बैच इस महीने आने की संभावना
वास्तव में, अमेरिका के साथ 2020 में हुए 600 मिलियन डॉलर के समझौते के तहत भारतीय सेना को छह अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर मिलने थे, जिनकी डिलीवरी मई-जून 2024 तक होनी थी। हालांकि, आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं और तकनीकी समस्याओं के कारण इसमें देरी हुई है, और अब डिलीवरी को दिसंबर 2024 तक के लिए टाल दिया गया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पहला बैच इसी महीने भारत पहुंच सकता है, जिसमें तीन हेलीकॉप्टर शामिल होंगे, जबकि बाकी तीन दूसरे बैच में साल के अंत तक आएंगे.
अपाचे हेलीकॉप्टरों की विशेषताएँ
अपाचे हेलीकॉप्टरों की विशेषता यह है कि वे दुश्मन पर तेजी से और घातक तरीके से हमला करने, लक्ष्य पर सटीकता से वार करने, और विभिन्न मौसमीय परिस्थितियों में कार्य करने में सक्षम हैं। इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से भारतीय सेना की हवाई ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, विशेषकर पश्चिमी सीमाओं पर.
सेना की एविएशन कोर के पास मौजूद अन्य संसाधन
एएलएच ध्रुव: स्वदेशी बहु-भूमिका हेलीकॉप्टर, जिसका उपयोग ट्रांसपोर्ट, रेस्क्यू और टोही में किया जाता है.
रुद्र: एएलएच का सशस्त्र संस्करण जो नजदीकी हवाई सहायता प्रदान करता है.
एलसीएच (हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर): उच्च ऊंचाई पर हमले करने में सक्षम हेलीकॉप्टर, विशेष रूप से पहाड़ी इलाकों के लिए डिजाइन किया गया.
चीता और चेतक: हल्के हेलीकॉप्टर जो मुख्यतः मेडिकल और रसद उपयोग के लिए तैनात हैं.
डोर्नियर 228: टोही और परिवहन में प्रयुक्त एक फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट.
हेरोन और सर्चर UAVs: निगरानी, टोही और लक्ष्यों पर नजर रखने के लिए तैनात मानव रहित विमान.
एमआई-17: मध्यम लिफ्ट ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर जो सैनिकों और उपकरणों की आवाजाही, निकासी और राहत कार्यों में उपयोग होता है.
भारतीय वायुसेना की अपाचे हेलीकॉप्टरों की उपलब्धि
भारतीय वायुसेना पहले ही 2015 में हुए एक अलग सौदे के तहत 22 अपाचे हेलीकॉप्टर प्राप्त कर चुकी है। अब भारतीय सेना भी अपने पहले अपाचे स्क्वाड्रन को सक्रिय करने के करीब है, जो पश्चिमी सीमा पर तैनात रहकर भारत की रक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त बनाएगा। यह पहल भारत की आधुनिक रक्षा नीति और स्वदेशी-विदेशी तकनीकी समन्वय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.