मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण: क्या है इसकी आवश्यकता?

चुनाव आयोग का स्पष्ट बयान
चुनाव आयोग ने सोमवार को विपक्षी दलों के विरोध के बीच यह स्पष्ट किया कि मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण न केवल आवश्यक है, बल्कि यह संविधान के अनुरूप भी है। आयोग ने बताया कि मतदाता सूची एक गतिशील दस्तावेज है, जो मृत्यु, प्रवास और नए मतदाताओं के जुड़ने जैसी स्थितियों के कारण लगातार बदलती रहती है। इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि केवल योग्य नागरिक ही इस सूची में शामिल हों।
विपक्ष के आरोपों का जवाब
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य मशीनरी का दुरुपयोग कर गहन पुनरीक्षण के नाम पर जानबूझकर मतदाताओं को सूची से हटाया जा सकता है। आयोग ने उत्तर देते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदाता बनने के लिए केवल 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का भारतीय नागरिक होना और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का सामान्य निवासी होना आवश्यक है।
2003 की मतदाता सूची का सार्वजनिक होना
आयोग ने यह भी बताया कि उसने बिहार की वर्ष 2003 की मतदाता सूची को अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया है, जिसमें 4.96 करोड़ मतदाताओं का विवरण शामिल है। यह सूची वर्तमान विशेष गहन पुनरीक्षण में दस्तावेज़ी प्रमाण के रूप में काम आएगी, जिससे लगभग 60% मतदाताओं को किसी अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, यदि वे 2003 की सूची में अपने नाम का सत्यापन कर लें।
मतदाता और BLO के लिए जानकारी की उपलब्धता
इस प्रक्रिया के तहत, मतदाता और बूथ लेवल अधिकारी (BLO) दोनों ही वेबसाइट से संबंधित जानकारी देख सकेंगे। यदि किसी मतदाता का नाम 2003 की सूची में नहीं है लेकिन उसके माता या पिता का नाम दर्ज है, तो वह उस अंश का उपयोग दस्तावेज के रूप में कर सकता है और माता-पिता के लिए किसी अन्य दस्तावेज़ की आवश्यकता नहीं होगी।
मतदाता सूची के पुनरीक्षण की अनिवार्यता
चुनाव आयोग ने यह भी दोहराया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अंतर्गत हर चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है। आयोग पिछले सात दशकों से नियमित रूप से वार्षिक, सारांश और गहन पुनरीक्षण करता आ रहा है।
संविधानिक आवश्यकता
इस प्रकार, आयोग ने स्पष्ट किया कि मतदाता सूची को अद्यतन करना न केवल प्रशासनिक दायित्व है, बल्कि यह संवैधानिक आवश्यकता भी है, ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें।