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मध्य प्रदेश में पशुओं के लिए घर पर चिकित्सा सेवा की शुरुआत

मध्य प्रदेश सरकार ने पशुपालकों के लिए एक नई पहल की है, जिसमें बीमार जानवरों का उपचार उनके घर पर ही किया जाएगा। 406 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की स्थापना के साथ, पशुपालक अब टोल-फ्री नंबर 1962 पर कॉल करके त्वरित चिकित्सा सेवा प्राप्त कर सकते हैं। यह सेवा न केवल उपचार प्रदान करती है, बल्कि टीकाकरण और कृत्रिम गर्भाधान जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराती है। जानें इस सेवा के लाभ और कैसे यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाती है।
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मध्य प्रदेश में पशुओं के लिए घर पर चिकित्सा सेवा की शुरुआत

मध्य प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा: बीमार जानवरों के लिए घर पर उपचार

मध्य प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा 2025 एक महत्वपूर्ण पहल है, जो पशुपालकों के लिए एक नई दिशा प्रदान करती है। राज्य सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग ने 406 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की स्थापना की है।


यह सेवा बीमार जानवरों का उपचार उनके निवास स्थान पर ही उपलब्ध कराती है। बालाघाट जिले में 11 इकाइयां कार्यरत हैं। पशुपालक इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए टोल-फ्री नंबर 1962 पर संपर्क कर सकते हैं। आइए, इस सेवा के बारे में विस्तार से जानते हैं।


घर पर मिलेगी आधुनिक चिकित्सा सुविधा

मध्य प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा 2025 के अंतर्गत मोबाइल इकाइयां अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हैं। इनमें प्रशिक्षित पशु चिकित्सक और पैरावेट स्टाफ मौजूद हैं।


पशुपालक 1962 टोल-फ्री नंबर पर अपनी समस्या बता सकते हैं। भोपाल के कॉल सेंटर में जानकारी दर्ज होने के बाद, इकाई 4 से 12 घंटे के भीतर पशुपालक के घर पहुंच जाती है। यह सेवा पशुओं के लिए त्वरित और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करती है। बालाघाट में हर विकास खंड और जिला मुख्यालय के लिए इकाइयां उपलब्ध हैं।


उपचार से लेकर टीकाकरण तक की सुविधा

यह मोबाइल इकाई केवल उपचार तक सीमित नहीं है, बल्कि बधियाकरण, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान और पशु जांच जैसी सेवाएं भी प्रदान करती है।


बड़े जानवरों जैसे गाय और भैंस के लिए 150 रुपये, 1 से 10 छोटे जानवरों जैसे भेड़ और बकरी के लिए 150 रुपये, और कुत्ते-बिल्ली के लिए 300 रुपये का शुल्क लिया जाता है। यह किफायती दरें पशुपालकों के लिए राहत का कारण बनती हैं। यह सेवा जानवरों की सेहत और पशुपालकों की आय को बढ़ाने में सहायक है।


पशुपालकों के लिए आसान और प्रभावी समाधान

मध्य प्रदेश पशु चिकित्सा सेवा 2025 का उद्देश्य पशुपालकों की समस्याओं को कम करना है। पहले बीमार जानवरों को दूर के अस्पतालों में ले जाना पड़ता था, लेकिन अब यह सेवा घर पर ही उपलब्ध है।


उप संचालक डॉ. एन.डी. पुरी ने पशुपालकों से आग्रह किया है कि वे टोल-फ्री नंबर का अधिकतम उपयोग करें। यह पहल न केवल जानवरों की सेहत में सुधार लाती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाती है। पशुपालक इस सुविधा का लाभ उठाकर अपने जानवरों का समय पर उपचार करवा सकते हैं।