Newzfatafatlogo

महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स: कारण, प्रभाव और समाधान

महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जो अस्वस्थ जीवनशैली और हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है। एक हालिया सर्वेक्षण में पता चला है कि लगभग 70% महिलाएं इस समस्या का सामना कर रही हैं। इस लेख में, हम इर्रेगुलर पीरियड्स के कारण, इससे जुड़ी समस्याएं और इसे नियंत्रित करने के लिए आवश्यक जीवनशैली में बदलावों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे सही डाइट और स्वस्थ आदतें आपकी मासिक धर्म चक्र को नियमित कर सकती हैं।
 | 
महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स: कारण, प्रभाव और समाधान

महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या

आजकल की तेज़-तर्रार जिंदगी और अस्वस्थ जीवनशैली के कारण महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स की समस्या बढ़ती जा रही है। 2023 में किए गए एक सर्वेक्षण में, भारत की 18 से 35 वर्ष की आयु की 3 लाख से अधिक महिलाओं ने भाग लिया। इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की मासिक धर्म स्वास्थ्य की वास्तविक स्थिति को समझना था। सर्वे से पता चला कि लगभग 70% महिलाएं पीरियड्स के दौरान विभिन्न समस्याओं का सामना करती हैं।


इर्रेगुलर पीरियड्स की परिभाषा

जब पीरियड्स नियमित रूप से नहीं आते हैं या हर महीने अलग-अलग समय पर आते हैं, तो इसे इर्रेगुलर पीरियड्स कहा जाता है। सामान्यतः, पीरियड्स हर 21 से 35 दिनों के बीच आते हैं और 3 से 7 दिनों तक चलते हैं। लेकिन जब यह चक्र अनियमित हो जाता है, तो कभी-कभी 15 से 40 दिनों के बीच या कई बार महीनों तक पीरियड्स नहीं आते। यदि यह समस्या लगातार बनी रहती है, तो यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकता है, इसलिए डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।


इर्रेगुलर पीरियड्स के कारण

महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स का संबंध मानसिक, शारीरिक और हार्मोनल स्थितियों से होता है। अस्वस्थ जीवनशैली भी एक प्रमुख कारण है। वर्तमान में, महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स का सबसे सामान्य कारण PCOS है, जिसमें अंडाशय में सिस्ट बन जाते हैं, जिससे ओव्यूलेशन रुक जाता है। इसके अलावा, शरीर का वजन कम या ज्यादा होना भी ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकता है।


एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स का असंतुलन भी इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण बन सकता है। थायरॉइड या अन्य एंडोक्राइन समस्याएं भी इसके पीछे हो सकती हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है। एथलीट्स या जिम में अधिक व्यायाम करने वाली महिलाओं को भी पीरियड्स में देरी या रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।


इर्रेगुलर पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं

यदि पीरियड्स नियमित नहीं हैं, तो ओव्यूलेशन भी असामान्य हो सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है।


इसके अलावा, इर्रेगुलर पीरियड्स हार्मोनल असंतुलन का संकेत देते हैं, जो आगे चलकर थायरॉइड, PCOS या इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।


कुछ महिलाओं में इर्रेगुलर पीरियड्स के साथ भारी रक्तस्राव होता है, जिससे एनीमिया और कमजोरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।


इसके अलावा, इर्रेगुलर पीरियड्स से चिड़चिड़ापन, चिंता और तनाव भी महसूस हो सकता है, खासकर जब वे गर्भधारण की योजना बना रही होती हैं।


लाइफस्टाइल में बदलाव

इर्रेगुलर पीरियड्स को नियंत्रित करने और मासिक धर्म चक्र को नियमित बनाने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव करना आवश्यक है। छोटे-छोटे बदलाव न केवल पीरियड्स को नियमित करेंगे, बल्कि आपकी समग्र सेहत को भी बेहतर बनाएंगे।


डाइट में शामिल करें ये चीजें

अनानास


पपीता


अदरक


दालचीनी


अजवाइन


सौंफ


हल्दी


इन चीजों से करें परहेज

ज्यादा तेल-मसाले वाली चीजें नहीं खानी चाहिए।


डीप फ्राइड फूड्स से बचें।


प्रोसेस्ड और जंक फूड से दूर रहें।


शुगरी ड्रिंक्स का सेवन न करें।


अधिक मात्रा में नमक का सेवन न करें।


शराब और कैफीन से परहेज करें।