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महिलाओं में थायरॉइड: लक्षण, कारण और उपचार के उपाय

महिलाओं में थायरॉइड एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो अक्सर अनदेखी की जाती है। इसके लक्षणों में थकान, वजन में बदलाव और मूड स्विंग्स शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर पहचान और उचित उपचार से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। जानें थायरॉइड के कारण, लक्षण और इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं।
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महिलाओं में थायरॉइड: लक्षण, कारण और उपचार के उपाय

थायरॉइड के कारण

आजकल की तेज़ रफ्तार और तनावपूर्ण जीवनशैली के चलते महिलाएं अक्सर अपनी सेहत की अनदेखी कर देती हैं। इस लापरवाही के कारण कई बार उनके शरीर में ऐसी बीमारियाँ विकसित हो जाती हैं, जो समय के साथ गंभीर रूप ले लेती हैं। विशेष रूप से थायरॉइड जैसी समस्याएँ, जो शुरुआत में मामूली लक्षणों के साथ प्रकट होती हैं, जैसे थकान, मूड स्विंग्स, वजन में बदलाव या अनियमित पीरियड्स। अक्सर इन्हें सामान्य हार्मोनल परिवर्तन या उम्र से जोड़कर नजरअंदाज किया जाता है। लेकिन क्या महिलाएं जानती हैं कि यहीं पर उनकी सबसे बड़ी चूक होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, थायरॉइड महिलाओं के लिए एक साइलेंट किलर है, जिसका समय पर पता लगाना अत्यंत आवश्यक है।


महिलाओं में थायरॉइड की अधिकता का कारण

डॉक्टर मुकेश बत्रा, जो डॉ. बत्रा'ज हेल्थकेयर के संस्थापक और चेयरमैन एमेरिटस हैं, बताते हैं कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में थायरॉइड विकारों की शिकार 8 गुना अधिक होती हैं। इसका मुख्य कारण जीवन के विभिन्न चरणों में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन हैं, जैसे युवावस्था, गर्भावस्था और मेनोपॉज। इसके अलावा, ऑटोइम्यून बीमारियाँ जैसे हाशिमोटो थायरॉइडिटिस और ग्रेव्स डिजीज भी महिलाओं में अधिक पाई जाती हैं। इन समस्याओं के कारण महिलाएं अक्सर अधिक भावुक, बालों का झड़ना, अनिद्रा और तनाव जैसी समस्याओं का सामना करती हैं, जिन्हें कभी थायरॉइड से नहीं जोड़ा जाता। इस प्रकार, यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता जाता है।


थायरॉइड के लक्षण


  • थकान और कमजोरी का अनुभव होना।

  • बिना किसी कारण के वजन में वृद्धि।

  • ठंडे वातावरण में भी ठंड लगना।

  • त्वचा और बालों में सूखापन।

  • मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन।

  • डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन।

  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई।

  • पेट संबंधी समस्याएँ जैसे कब्ज़ या अन्य पाचन संबंधी परेशानियाँ।


थायरॉइड के लिए दवा के अलावा क्या आवश्यक है?

आधुनिक चिकित्सा पद्धति केवल लक्षणों के नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करती है। जबकि होम्योपैथी इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने का प्रयास करती है। इस उपचार में न केवल हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद मिलती है, बल्कि मानसिक तनाव और इम्यूनिटी को भी बढ़ाया जाता है। थायरॉइड के लक्षणों को कम करने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव कम करने के उपाय और पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है।


कब जांच कराना आवश्यक है?

थायरॉइड एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर पहचानने पर रोका जा सकता है। जिन महिलाओं के परिवार में थायरॉइड या ऑटोइम्यून बीमारियों का इतिहास है या जो मातृत्व की योजना बना रही हैं, उन्हें अपना थायरॉइड टेस्ट अवश्य करवाना चाहिए।