महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन: नींद और तनाव का प्रभाव

महिलाओं की सेहत पर हार्मोनल असंतुलन का असर
नई दिल्ली: आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में महिलाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं, लेकिन उनकी सेहत भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। घर की जिम्मेदारियों और करियर के दबाव ने उनके शरीर पर गहरा प्रभाव डाला है। हार्मोन का संतुलन बिगड़ने की समस्या अब केवल उम्र या विशेष परिस्थितियों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह किशोरियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक सभी को प्रभावित कर रही है।
आयुष मंत्रालय और आधुनिक चिकित्सा दोनों इस बात पर सहमत हैं कि महिलाओं के शरीर में हार्मोन का संतुलन बहुत नाजुक होता है। ये हार्मोन निर्धारित करते हैं कि शरीर कब पीरियड्स के लिए तैयार होगा, गर्भधारण की क्षमता, बालों की वृद्धि, त्वचा की स्थिति, और मानसिक स्वास्थ्य। जब ये हार्मोन असंतुलित होते हैं, तो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
हार्मोन असंतुलन का एक प्रमुख कारण नींद की कमी है। जब शरीर को प्रतिदिन 7-8 घंटे की नींद नहीं मिलती, तो यह खुद को ठीक करने में असमर्थ हो जाता है। इससे तनाव हार्मोन कोर्टिसोल प्रभावित होता है, जो अन्य हार्मोनों को भी असंतुलित कर देता है। इसके अलावा, लगातार मानसिक तनाव, काम का दबाव, और रिश्तों में तनाव थायराइड, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोनों को प्रभावित करते हैं।
आयुर्वेद में भी कहा गया है कि मानसिक स्थिरता शरीर के संतुलन से जुड़ी होती है। जब मन अशांत होता है, तो हार्मोन का संतुलन भी बिगड़ने लगता है। खानपान की आदतें भी इस असंतुलन को बढ़ाती हैं। पैकेज्ड स्नैक्स, बिस्किट्स, और शुगर युक्त पेय पदार्थ शरीर के मेटाबॉलिज्म को धीमा करते हैं और हार्मोनल सिस्टम पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
शारीरिक गतिविधियों की कमी भी हार्मोन असंतुलन का एक कारण है। जब महिलाएं दिनभर कुर्सी पर बैठी रहती हैं या व्यायाम नहीं करतीं, तो उनका मेटाबॉलिज्म सुस्त पड़ जाता है। इसके विपरीत, कुछ महिलाएं वजन कम करने के लिए अत्यधिक व्यायाम करती हैं, जिससे शरीर पर तनाव बढ़ता है और हार्मोन असंतुलन बढ़ जाता है। इसके अलावा, जो महिलाएं देर रात भोजन करती हैं या जिनका खाने का समय नियमित नहीं होता, उनकी जैविक घड़ी प्रभावित होती है, जिससे पाचन और हार्मोन दोनों पर असर पड़ता है।