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मानसून में अस्थमा और अन्य बीमारियों से बचने के उपाय

मानसून का मौसम कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है, विशेषकर अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि बारिश के मौसम में किन बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है और उनसे कैसे बचा जा सकता है। विशेषज्ञों की सलाह और सावधानियों के साथ, आप इस मौसम में स्वस्थ रह सकते हैं। जानें और अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें!
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मानसून में अस्थमा और अन्य बीमारियों से बचने के उपाय

मानसून में स्वास्थ्य संबंधी सावधानियाँ

स्वास्थ्य टिप्स: जैसे ही मानसून का मौसम आता है, कई बीमारियों और संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है। इस समय डेंगू, मलेरिया, और त्वचा संक्रमण जैसी समस्याएँ आम हो जाती हैं। आइए जानते हैं कि मानसून में किन बीमारियों का खतरा अधिक होता है और उनसे कैसे बचा जा सकता है?


बारिश के मौसम में अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है, जिसे ब्रोन्कियल अस्थमा भी कहा जाता है। यह आमतौर पर नमी, धूल, वायरस और फंगस के कारण होता है। इस बीमारी में सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, थकान और सांस फूलने जैसी समस्याएँ होती हैं। यह एक प्रकार की एलर्जी है, और जिन लोगों को फूलों और पत्तों में मौजूद पोलन से एलर्जी होती है, उन्हें इस मौसम में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।


विशेषज्ञों की राय

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?


फरीदाबाद के मौरिंगो एशिया हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ. गुरमीत सिंह छाबरा के अनुसार, जब मौसम में नमी 30 से 50 प्रतिशत होती है, तो फेफड़े सामान्य रूप से काम करते हैं। लेकिन जब नमी 50 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तो फेफड़ों की नलियों में सूजन आ सकती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। अधिक बारिश के कारण फूलों और पेड़ों से पोलन गिर जाते हैं, जो सांस के साथ अंदर चले जाते हैं और अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ाते हैं। इसके अलावा, बारिश के मौसम में सूरज की रोशनी कम होने से तनाव और डिप्रेशन भी हो सकता है, जो अस्थमा अटैक का कारण बन सकता है।


बचाव के उपाय

कैसे करें बचाव?


बारिश में भीगने से बचें।
धूल-मिट्टी और गंदगी वाली जगहों पर न जाएं।
बारिश के मौसम में गर्म पानी पिएं और गर्म पानी से स्नान करें।
एसी का तापमान न ज्यादा ठंडा रखें और न ही ज्यादा गर्म।
सर्दी-जुकाम होने पर भाप लेना न भूलें।