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मार्गशीर्ष माह के व्रत और त्योहारों की पूरी सूची

मार्गशीर्ष माह, जो भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय है, में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। यह महीना हिंदू कैलेंडर का नवां महीना है, जिसमें विशेष पूजा और साधना की जाती है। जानें इस माह में आने वाले व्रतों और त्योहारों की पूरी सूची, जो 06 नवंबर से शुरू होकर 04 दिसंबर तक चलेगी। इस लेख में हम मार्गशीर्ष माह के महत्व और विशेष तिथियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
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मार्गशीर्ष माह के व्रत और त्योहारों की पूरी सूची

भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय मार्गशीर्ष माह


मार्गशीर्ष माह भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। यह महीना हिंदू कैलेंडर का नवां महीना होता है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा और साधना की जाती है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान स्वयं कहते हैं, 'मासों में मैं मार्गशीर्ष हूं।' इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। आइए, जानते हैं इस महीने में आने वाले व्रत और त्योहारों की सूची।


मार्गशीर्ष माह की शुरुआत

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीना 06 नवंबर 2025, गुरुवार से आरंभ हो चुका है और यह 04 दिसंबर 2025 को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के साथ समाप्त होगा।


मार्गशीर्ष महीने के व्रत-त्योहारों की सूची


  • 7 नवंबर, शुक्रवार- रोहिणी व्रत

  • 8 नवंबर, शनिवार- संकष्टी चतुर्थी, सौभाग्य सुंदरी तीज

  • 12 नवंबर, बुधवार- कालभैरव जयंती

  • 15 नवंबर, शनिवार- उत्पन्ना एकादशी

  • 16 नवंबर, रविवार- वृश्चिक संक्रांति

  • 17 नवंबर, सोमवार- सोम प्रदोष व्रत

  • 18 नवंबर, मंगलवार- मासिक शिवरात्रि

  • 20 नवंबर, गुरुवार- मार्गशीर्ष अमावस्या

  • 21 नवंबर, शुक्रवार- चंद्र दर्शन

  • 25 नवंबर, मंगलवार- विवाह पंचमी

  • 26 नवंबर, बुधवार- स्कन्द षष्ठी, चम्पा षष्ठी

  • 28 नवंबर, शुक्रवार- दुर्गाष्टमी व्रत

  • 1 दिसंबर, सोमवार- मोक्षदा एकादशी, गुरुवायुर एकादशी, गीता जयंती

  • 2 दिसंबर, मंगलवार- भौम प्रदोष व्रत, मत्स्य द्वादशी

  • 4 दिसंबर, गुरुवार- अन्नपूर्णा जयंती, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जयंती


मार्गशीर्ष माह में तुलसी की उत्पत्ति

मार्गशीर्ष या अगहन का महीना मांगलिक कार्यों, व्रत-त्यौहारों और पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस माह में तुलसी माता की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी महीने में तुलसी का जन्म हुआ था। इसलिए, इस माह में तुलसी की पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।