मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के 8 प्रभावी तरीके

खेती में उर्वरता का महत्व
खेती में बेहतर पैदावार के लिए मिट्टी की उर्वरता जरूरी
मिट्टी की उर्वरता खेती की सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा होगी, तो फसल की पैदावार भी अधिक होगी। लेकिन रासायनिक खादों का अत्यधिक उपयोग, एक ही फसल का बार-बार बोना और भूमि प्रबंधन की कमी से मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है। अच्छी बात यह है कि कुछ सरल उपायों से किसान मिट्टी की उर्वरता को फिर से बढ़ा सकते हैं।
उर्वरता बढ़ाने के उपाय
बेहतर होगी क्वालिटी
मिट्टी केवल खेती का आधार नहीं है, बल्कि यह किसानों के जीवन का भी सहारा है। यदि किसान इन 8 उपायों को अपनाते हैं, तो न केवल मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होगी, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और पैदावार भी बेहतर होगी.
फसल चक्र
एक ही फसल को बार-बार बोने से मिट्टी में वही पोषक तत्व खर्च होते हैं, जिससे मिट्टी थक जाती है। यदि किसान गेहूं या धान के बाद दालें, तिलहन या सब्जियां बोते हैं, तो मिट्टी को नए पोषक तत्व मिलते हैं.
हरी खाद का उपयोग
धान या मूंग जैसी हरी फसलों को खेत में जुताई कर मिट्टी में मिलाने से जैविक पदार्थ और नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जो मिट्टी को उपजाऊ बनाने का एक सस्ता और प्रभावी तरीका है.
गोबर की खाद और कम्पोस्ट
देसी खाद जैसे गोबर और कम्पोस्ट से मिट्टी को लंबे समय तक पोषण मिलता है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है.
वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग
केंचुए से बनी वर्मी कम्पोस्ट को काला सोना कहा जाता है, जो मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स और गुड बैक्टीरिया पहुंचाता है.
फसल अवशेष
कटाई के बाद बचे हुए डंठल और पत्तियों को जलाने के बजाय खेत में मिलाना चाहिए, जिससे मिट्टी में कार्बन बढ़ता है.
नमी संरक्षण
मिट्टी की नमी को बचाना भी आवश्यक है। मल्चिंग और समय पर सिंचाई से मिट्टी में पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं.
बायो उर्वरक
रासायनिक खाद के स्थान पर जैव उर्वरकों का उपयोग करने से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है.
सॉयल टेस्टिंग
मिट्टी को उर्वर बनाने का पहला कदम उसकी सेहत जानना है। हर 2-3 साल में सॉयल टेस्टिंग कराने से किसान को पता चलता है कि उनकी जमीन में कौन से पोषक तत्व कम हैं.