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मेनोपॉज से जुड़ी सामान्य भ्रांतियाँ और सच्चाई

मेनोपॉज एक महत्वपूर्ण जीवन चरण है, लेकिन इसके बारे में कई भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। इस लेख में हम उन सामान्य मिथकों का पर्दाफाश करेंगे जो महिलाओं को इस समय का सही आनंद लेने से रोकते हैं। जानें कि मेनोपॉज का मतलब जीवन का अंत नहीं है, बल्कि यह एक नए अध्याय की शुरुआत है। साथ ही, यह भी समझें कि कैसे आप इस समय में अपने स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का ध्यान रख सकती हैं।
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मेनोपॉज से जुड़ी सामान्य भ्रांतियाँ और सच्चाई

मेनोपॉज: एक नया अध्याय

यह वह समय होता है जब महिलाओं में मासिक धर्म स्थायी रूप से समाप्त हो जाता है और उनके शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं। यह आमतौर पर 45 से 55 वर्ष की आयु के बीच होता है। हालांकि, इस विषय पर फैली भ्रांतियों के कारण महिलाएं इस चरण का सही आनंद नहीं ले पातीं।


भ्रांति 1: मेनोपॉज का मतलब जीवन का अंत है।
सत्य: यह पूरी तरह से गलत है। मेनोपॉज किसी के जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह वह समय है जब आप मासिक धर्म और गर्भावस्था की चिंता से मुक्त होकर अपने शौक पूरे कर सकती हैं और जीवन को नए दृष्टिकोण से देख सकती हैं।


भ्रांति 2: मेनोपॉज के बाद वजन बढ़ना निश्चित है।
सत्य: यह सच है कि हार्मोनल परिवर्तनों के कारण मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे वजन बढ़ सकता है। लेकिन यह निश्चित नहीं है। यदि आप स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम अपनाती हैं, तो आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकती हैं।


भ्रांति 3: मेनोपॉज के बाद सेक्स जीवन समाप्त हो जाता है।
सत्य: यह सबसे बड़ी भ्रांतियों में से एक है। हार्मोनल परिवर्तनों के कारण कुछ महिलाओं को योनि में सूखापन महसूस हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी सेक्स जीवन समाप्त हो गई है। बाजार में कई प्रकार के लुब्रिकेंट्स और उपचार उपलब्ध हैं। कई महिलाएं इस समय में बिना गर्भावस्था की चिंता के अपनी सेक्स जीवन का आनंद लेती हैं।


भ्रांति 4: हॉट फ्लैश हर महिला को होते हैं।
सत्य: हॉट फ्लैश (अचानक शरीर में गर्मी लगना) मेनोपॉज का एक सामान्य लक्षण है, लेकिन यह हर महिला को नहीं होता। कुछ महिलाएं इसे अनुभव नहीं करतीं, कुछ को हल्का होता है, और कुछ को अधिक। यह हर महिला के शरीर पर अलग-अलग असर डालता है।


भ्रांति 5: मेनोपॉज केवल शारीरिक परिवर्तन लाता है।
सत्य: मेनोपॉज का प्रभाव केवल शरीर पर नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण मूड स्विंग्स, चिंता, चिड़चिड़ापन या उदासी महसूस होना सामान्य है। इसे कमजोरी न समझें। मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य का। आवश्यकता पड़ने पर दोस्तों, परिवार या विशेषज्ञ से बात करने में संकोच न करें।