मोतियाबिंद जागरूकता माह 2025: लक्षण, उपचार और बचाव के उपाय

मोतियाबिंद की समस्या
मोतियाबिंद जागरूकता माह 2025: आंखों से संबंधित बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें मोतियाबिंद भी शामिल है। पहले यह समस्या मुख्य रूप से वृद्ध लोगों में देखी जाती थी, लेकिन अब यह युवा पीढ़ी में भी बढ़ती जा रही है। लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने के कारण यह समस्या अधिक आम हो गई है। यदि किसी को लगातार धुंधला दिखाई देता है, तो यह मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में धुंधली दृष्टि शामिल है, जिसे लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यदि समय पर उपचार नहीं किया गया, तो यह स्थिति बिगड़ सकती है।
मोतियाबिंद की पहचान कैसे करें?
कैसे पता करें मोतियाबिंद है या नहीं?
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसी की दृष्टि लगातार धुंधली हो रही है, तो यह मोतियाबिंद का संकेत हो सकता है। इसके अलावा, कुछ अन्य लक्षण भी हैं जिन्हें समझना आवश्यक है:
- तेज रोशनी में चुभन महसूस होना।
- रात में देखने में कठिनाई।
- रोशनी के चारों ओर चमक या घेरे दिखाई देना।
- चश्मे का नंबर बार-बार बदलना।
- रंगों का फीका दिखना भी मोतियाबिंद का लक्षण है।
विशेषज्ञों की राय
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
जगत फार्मा के निदेशक डॉ. मंदीप सिंह बासु के अनुसार, मोतियाबिंद की समस्या आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ती है और देर से दृष्टि पर असर डालती है। यदि प्रारंभिक चरण में सही उपचार किया जाए, तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है और इसे अच्छी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक उपचार
आयुर्वेद कैसे करेगा मदद?
डॉ. मंदीप के अनुसार, आंखों की जलन और थकान से राहत पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय सहायक हो सकते हैं। जैसे त्रिफला के पानी से आंखें धोना, नेत्र तर्पण (घी से आंखों का स्नान) और आयुर्वेदिक आई ड्रॉप का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, आंवला और हल्दी जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर जड़ी-बूटियों का सेवन आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है। हालांकि, आयुर्वेद में मोतियाबिंद का संपूर्ण इलाज नहीं है।
सर्जरी का महत्व
क्या सर्जरी ही एक उपाय है?
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम के ऑपथैल्मोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. विशाल अरोड़ा बताते हैं कि मोतियाबिंद के लिए सर्जरी एकमात्र प्रभावी उपाय है। घरेलू उपचार केवल स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन आंखों के धुंधले लेंस को हटाना आवश्यक होता है। इसके स्थान पर आर्टिफिशियल लेंस लगाया जाता है। यदि मोतियाबिंद का समय पर इलाज नहीं किया गया, तो आंखों की रोशनी पूरी तरह से जा सकती है।
WHO की रिपोर्ट
WHO क्या बताता है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मोतियाबिंद दुनिया भर में अंधेपन और दृष्टि की कमजोरी का एक प्रमुख कारण है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि भारत में महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं। फिर भी, कई लोगों को समय पर सही उपचार नहीं मिल पाता, जिससे उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है।
भारत में बीमारी के बढ़ने के कारण
भारत में बीमारी बढ़ने का क्या कारण है?
हालांकि यह बीमारी सामान्य है, लेकिन इसके बढ़ने का मुख्य कारण लोगों में इसके प्रति जागरूकता की कमी है। डॉ. बासु ने बताया कि एडवांस ट्रीटमेंट के बारे में जानकारी की कमी आज के समय में इलाज में देरी का एक बड़ा कारण है। कुछ स्थानों पर महंगे उपचार के कारण लोग इलाज कराने से हिचकिचाते हैं, इसलिए जागरूकता फैलाना अत्यंत आवश्यक है।
मोतियाबिंद से बचाव के उपाय
मोतियाबिंद से बचाव कैसे किया जा सकता है?
- धूप में कम से कम समय बिताएं।
- स्वस्थ आहार का सेवन करें।
- आंखों पर चोट लगने की संभावनाओं को कम करें।
- साल में 2-3 बार आंखों की जांच करवाएं।
- धूम्रपान और शराब का सेवन कम करें।