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यूटरस कैंसर की रोकथाम के लिए पप स्मीयर टेस्ट का महत्व

महिलाओं के लिए पप स्मीयर टेस्ट एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जांच है, खासकर 30 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए। यह टेस्ट यूटरस कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की पहचान में मदद करता है, जो अक्सर बिना लक्षणों के विकसित होती हैं। जानें कि यह टेस्ट कब और क्यों कराना चाहिए, और इसके लाभ क्या हैं।
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यूटरस कैंसर की रोकथाम के लिए पप स्मीयर टेस्ट का महत्व

महिलाओं के लिए पप स्मीयर टेस्ट की आवश्यकता

महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण जानकारी: अक्सर महिलाएं यह सवाल उठाती हैं कि जब कोई समस्या नहीं है, तो टेस्ट कराने की आवश्यकता क्यों है? यह सवाल सही है, लेकिन यूटरस कैंसर जैसी बीमारियों के लिए यह सही नहीं है। यह बीमारी अक्सर अंदर ही अंदर विकसित होती है और इसके लक्षण देर से प्रकट होते हैं। ऐसे में पप स्मीयर टेस्ट के माध्यम से समय पर पहचान करना संभव है। आपने शायद सुना होगा कि 30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के लिए पप स्मीयर टेस्ट कराना अत्यंत आवश्यक है। यह यूटरस कैंसर से बचने का एक प्रभावी उपाय है।


 



 


यह टेस्ट उन सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य है, जिनकी उम्र 30 वर्ष या उससे अधिक है। इसके अलावा, यह उन महिलाओं के लिए भी आवश्यक है जो यौन रूप से सक्रिय हैं। यदि सेल्स में कोई असामान्य परिवर्तन पाया जाता है, तो टेस्ट को जल्दी दोहराना पड़ सकता है। एक बार एचपीवी संक्रमण होने के बाद, यह 5 से 8 वर्षों में सक्रिय हो सकता है, जिससे यूटरस के निचले हिस्से में गांठ बन जाती है। इसके बाद, जब भी वे अपने साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाती हैं, तो रक्तस्राव होने लगता है।