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यूरिक एसिड: बढ़ते स्तर के लक्षण और पहचान के तरीके

आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में लोग अपनी सेहत की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे यूरिक एसिड की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि युवाओं में भी फैल रही है। जानें यूरिक एसिड के लक्षण, पहचान के तरीके और इसे नियंत्रित करने के उपाय।
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यूरिक एसिड: बढ़ते स्तर के लक्षण और पहचान के तरीके

यूरिक एसिड की समस्या का बढ़ता प्रकोप

आजकल की तेज़ भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग अपनी सेहत की अनदेखी कर रहे हैं। असंतुलित आहार, अधिक प्रोटीन युक्त भोजन, रेड मीट, शराब का सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसी आदतें कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रही हैं। इनमें से एक प्रमुख समस्या यूरिक एसिड का बढ़ना है, जो अब केवल वृद्धों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि युवाओं में भी तेजी से फैल रही है।


यूरिक एसिड क्या है?

यूरिक एसिड एक प्रकार का अपशिष्ट उत्पाद है, जो तब बनता है जब प्यूरीन नामक तत्व का विघटन होता है। प्यूरीन हमारे शरीर की कोशिकाओं और कुछ खाद्य पदार्थों जैसे मीट, मछली, दाल और बीयर में पाया जाता है। सामान्यतः, किडनी यूरिक एसिड को मूत्र के माध्यम से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब यह बाहर नहीं निकल पाता या इसकी मात्रा बढ़ जाती है, तो यह रक्त में जमा होकर गठिया जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।


यूरिक एसिड के लक्षण

  • जोड़ों में तीव्र दर्द, विशेषकर अंगूठे, घुटने, टखनों और कलाई में।
  • सूजन और लालिमा, प्रभावित जोड़ों में गर्माहट और लाल रंग का होना।
  • चलने-फिरने में कठिनाई, खासकर सुबह उठने पर जकड़न महसूस होना।
  • थकावट और कमजोरी, शरीर हमेशा थका हुआ महसूस करना।
  • बार-बार पेशाब आना या जलन, जो यूरिक एसिड की अधिकता का संकेत हो सकता है।


यूरिक एसिड की पहचान कैसे करें?

यूरिक एसिड के स्तर को जानने का सबसे सरल तरीका ब्लड टेस्ट (Serum Uric Acid Test) है। सामान्यतः, पुरुषों में 3.4–7.0 mg/dL और महिलाओं में 2.4–6.0 mg/dL तक का स्तर सामान्य माना जाता है। यदि स्तर इससे अधिक हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। इसके अलावा, यूरिन टेस्ट, जोड़ों का एक्स-रे, या अल्ट्रासाउंड भी जांच का हिस्सा हो सकते हैं।


समस्या की गंभीरता

यदि इस समस्या का समय पर पता नहीं लगाया गया, तो यह गठिया, किडनी स्टोन और हृदय रोग जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि आप अपने आहार पर ध्यान दें, नियमित रूप से पानी पिएं, वजन को नियंत्रित रखें और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर से परामर्श करें।