रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भविष्य की चुनौतियों पर चर्चा की
भविष्य की चुनौतियों का सामना
भविष्य में आने वाली चुनौतियाँ हमारे सामने हैं, और हमें इनसे निपटने की आवश्यकता है। यह बात देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को रक्षा संपदा दिवस के अवसर पर कही।
उन्होंने इन चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या हम केवल प्रक्रियाओं का पालन करने वाले संगठन बने रहेंगे, या एक ऐसा संस्थान बनेंगे जो सीखता है, बदलता है और मार्गदर्शन करता है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा संपदा संगठन में नवाचार और निरंतर उन्नति की स्थायी संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में हमें छावनी क्षेत्रों को और अधिक स्मार्ट, हरित और नागरिकों के अनुकूल बनाना होगा। हमें एक ऐसा प्रशासन विकसित करना है जो सरल, उत्तरदायी और भविष्य के प्रति सजग हो।
उन्होंने कहा कि छावनियों को हरा-भरा और स्वच्छ बनाना, जल संचयन पर ध्यान देना और कचरा प्रबंधन में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना यह दर्शाता है कि सुरक्षा और स्थिरता एक साथ चल सकते हैं। यह भविष्य के लिए एक आदर्श बन सकता है।
राजनाथ सिंह ने रक्षा संपदा विभाग के अधिकारियों से कहा कि शिक्षा और कौशल विकास के क्षेत्र में आपके प्रयास प्रेरणादायक हैं। आज हमारे छावनियों में रहने वाले छात्र आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में प्रगति कर रहे हैं। यह आवश्यक है कि हमारे बच्चे परंपरा और तकनीक के साथ जुड़े रहें। रक्षा संपदा संगठन का डिजिटल परिवर्तन इसी संतुलन का उदाहरण है।
उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि रक्षा संपदा संगठन ने एक ग्राउंड-ओरियेंटेड संस्थान की भूमिका निभाई है। आपने खुद को केवल फाइलों और नियमों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि देश के विकास से जोड़ा है। यह आपके लिए गर्व का विषय है। आज मैं इंडियन डिफेंस स्टेट सर्विस के योगदान की सराहना करना चाहता हूँ। लगभग दो सौ वर्षों से अधिक समय से, इस सेवा ने जो परंपरा और विरासत बनाई है, उसकी सराहना की जानी चाहिए। आज हमारी डिफेंस स्टेट का दायरा कितना व्यापक है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि आप लोग 17 लाख एकड़ से अधिक रक्षा भूमि का प्रबंधन करते हैं। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है, क्योंकि यह हमारी रक्षा तंत्र की नींव है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज यदि हमारा रक्षा क्षेत्र तेजी से प्रगति कर रहा है, तो इसमें आपके समर्पण का बड़ा योगदान है। किसी राष्ट्र की ताकत केवल हथियारों से नहीं मापी जाती, बल्कि उसके सिस्टम, प्रशासन और मूल्यों में होती है। यदि प्रशासन ईमानदार, पारदर्शी और संवेदनशील हो, तो वह राष्ट्र की सबसे मजबूत ढाल बन जाता है। उन्होंने कहा कि आप अपनी ड्यूटी को केवल एक नौकरी के रूप में न देखें, बल्कि इसे राष्ट्र निर्माण का एक प्रभावी माध्यम मानें। अपनी क्षमता, ऊर्जा और समय का अधिकतम उपयोग करें। हर दिन खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करें, नए कौशल सीखें, और याद रखें कि आपका हर प्रयास भारत को और अधिक सशक्त बना रहा है।
