राघव चड्ढा ने संसद में स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार मांगा

राघव चड्ढा का स्वास्थ्य जांच का प्रस्ताव
राघव चड्ढा का संसद में बयान: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र में एक महत्वपूर्ण मांग उठाई। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि हर भारतीय नागरिक को वार्षिक स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार दिया जाए। उनका कहना था कि कोविड-19 महामारी के बाद से हृदय रोग, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में वृद्धि हुई है, और समय पर जांच से इनका पता लगाकर लाखों जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
चड्ढा ने सदन में कहा, "जब कई देशों में नागरिकों को सालाना स्वास्थ्य जांच का अधिकार दिया जाता है और उसका खर्च सरकार उठाती है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?" उन्होंने इसे "स्वास्थ्य सेवा को नागरिक का अधिकार" बनाने का मुद्दा बताया और जोर दिया कि यह सुविधा केवल अमीरों के लिए नहीं होनी चाहिए।
I raised a demand in Parliament:
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) July 22, 2025
Make Annual Health Check-up a Legal Right of every citizen.
Post COVID-19, we’re seeing a sharp rise in heart failures and other health issues. Early detection can save lives.
In many countries, the government funds & mandates annual health… pic.twitter.com/FqnloWNx3x
सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर बोझ कम करने का तर्क
आर्थिक बोझ में कमी: सांसद ने यह भी कहा कि नियमित स्वास्थ्य जांच से बीमारियों की समय पर पहचान संभव है, जिससे न केवल उपचार आसान होता है बल्कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर आर्थिक बोझ भी कम होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्कैंडिनेवियाई देशों, जापान और दक्षिण कोरिया में यह मॉडल पहले से लागू है और भारत को भी इस दिशा में कदम उठाना चाहिए।
'जांच है तो जान है' का नारा
जांच का महत्व: राघव चड्ढा ने अपने भाषण में 'जांच है तो जान है' का नारा दिया, जो उनके अभियान की भावना को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह भाषण उस समय दिया गया जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी कुर्सी पर अंतिम बार अध्यक्षता कर रहे थे। चड्ढा ने इसे एक "ऐतिहासिक संयोग" बताया।
सरकार से अपील
सरकार से चर्चा की मांग: सांसद ने सरकार से अपील की कि इस विषय पर संसद में विस्तृत चर्चा हो और कानून बनाकर हर नागरिक को यह अधिकार सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने विशेष रूप से गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के लिए इसे एक जीवनरक्षक पहल बताया। राघव चड्ढा की इस पहल को कई विपक्षी सांसदों ने समर्थन दिया है।