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रामरज यात्रा: पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश

रामरज यात्रा, जो 12 से 14 अक्टूबर तक श्रृंग्वेरपुर से अयोध्या धाम तक निकाली जाएगी, का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देना है। इस यात्रा के दौरान 27 तीर्थ स्थलों पर हरिशंकरी पौधों का रोपण किया जाएगा। प्रतापगढ़ को इस यात्रा का केंद्र चुना गया है, जो भरत जी की तपोभूमि है। यह यात्रा स्थानीय समाज को रामरज की पवित्र भावना से जोड़ने का एक जनांदोलन है।
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रामरज यात्रा: पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश

रामरज यात्रा का उद्देश्य


प्रतापगढ़। लोक भारती द्वारा आयोजित रामरज यात्रा 12 से 14 अक्टूबर तक श्रृंग्वेरपुर से अयोध्या धाम तक निकाली जाएगी। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, हरिशंकरी पौधारोपण और रामपथ के तीर्थ स्थलों के सांस्कृतिक पुनर्जागरण को बढ़ावा देना है। यात्रा के दौरान 27 तीर्थ स्थलों पर हरिशंकरी पौधों का रोपण किया जाएगा। लोक भारती ने रामपथ तालाब, विद्यालय, घाट और देवालयों को जोड़कर तीर्थों के बीच संवाद और संबंध को मजबूत करने का संकल्प लिया है।


प्रतापगढ़ का महत्व

प्रतापगढ़ को इस यात्रा का केंद्र इसलिए चुना गया है क्योंकि यह भरत जी की तपोभूमि रही है, जहां राम और भरत के मिलन जैसे दिव्य प्रसंग आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। आयोजन समिति का मानना है कि रामरज यात्रा केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समाज को रामरज की पवित्र भावना और पर्यावरणीय चेतना से जोड़ने का एक जनांदोलन है।


यात्रा के प्रभारी

महंत मनोज ब्रह्मचारी और यात्रा के प्रभारी कैप्टन सुभाष ओझा ने प्रेस को संबोधित किया। इस अवसर पर जिला संयोजक डी के शर्मा, यात्रा संयोजक राघवेंद्र सिंह, सह संयोजक सागर मिश्र और प्रताप सिंह भी उपस्थित रहे।