रुपये में सुधार, लेकिन अभी भी नकारात्मक रुख बरकरार

रुपये की स्थिति में सुधार
बृहस्पतिवार को रुपये ने अपने ऐतिहासिक निचले स्तर से 14 पैसे की बढ़त के साथ 87.66 प्रति डॉलर पर कारोबार शुरू किया।
अमेरिका द्वारा 25 प्रतिशत शुल्क लगाने और रूस से कच्चे तेल एवं हथियारों की खरीद पर जुर्माना लगाने की खबरों के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हस्तक्षेप की संभावना ने रुपये को संभालने में मदद की।
रुपये की गिरावट और वापसी
विदेशी मुद्रा व्यापारियों के अनुसार, रुपये ने पिछले तीन वर्षों में एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट के बाद, जो 89 पैसे थी, कुछ हद तक वापसी की है, लेकिन इसका रुख अभी भी नकारात्मक बना हुआ है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये ने 87.66 पर शुरुआत की और फिर 87.74 के निचले स्तर को छुआ।
बुधवार को रुपये का बंद स्तर 87.80 प्रति डॉलर था।
डॉलर सूचकांक और शेयर बाजार की स्थिति
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत गिरकर 99.78 पर पहुंच गया।
घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 582.49 अंक गिरकर 80,899.37 अंक पर और निफ्टी 151.70 अंक गिरकर 24,802.45 अंक पर रहा।
ब्रेंट क्रूड और विदेशी निवेश
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड की कीमत 0.19 प्रतिशत गिरकर 73.10 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने बुधवार को 850.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
अमेरिका का शुल्क लगाने का निर्णय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है, जो द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बातचीत में गतिरोध के संकेत देता है।
इसके साथ ही, ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी निर्णय लिया है।