रेड मीट से जुड़ी अल्फा-गैल सिंड्रोम: जानें इसके लक्षण और सावधानियां

रेड मीट का सेवन और स्वास्थ्य जोखिम
यदि आप रेड मीट का सेवन करते हैं, तो सतर्क रहें, क्योंकि यह आपको एक गंभीर बीमारी का शिकार बना सकता है, जिसका अभी तक कोई प्रभावी इलाज नहीं है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, रेड मीट का सेवन अल्फा-गैल सिंड्रोम नामक एक गंभीर एलर्जी का कारण बन सकता है। यह एलर्जी टिक के काटने से शुरू होती है और मांस तथा डेयरी उत्पादों के सेवन से बढ़ जाती है। इस स्थिति में खुजली और पेट में दर्द जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, और यह जानलेवा एनाफिलैक्सिस का कारण भी बन सकती है।
फूड पॉइजनिंग के रूप में गलत पहचान
अक्सर इसे फूड पॉइजनिंग समझा जाता है, जिसके कारण इस बीमारी का सही समय पर पता नहीं चल पाता। विशेषज्ञों का कहना है कि इस एलर्जी को समझना सही निदान और उपचार के लिए आवश्यक है। यदि आपको मांस या डेयरी खाने के बाद असामान्य लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।
अल्फा-गैल सिंड्रोम की जानकारी
अल्फा-गैल सिंड्रोम एक सामान्य खाद्य एलर्जी नहीं है। यह गाय, सुअर और हिरण जैसे स्तनधारियों के मांस और ऊतकों में पाए जाने वाले गैलेक्टोज-अल्फा-1,3-गैलेक्टोज (अल्फा-गैल) नामक शर्करा अणु से उत्पन्न होता है। लोन स्टार टिक या डीयर टिक के काटने से प्रतिरक्षा प्रणाली इस अणु के प्रति संवेदनशील हो सकती है। इसके बाद, रेड मीट या डेयरी उत्पादों का सेवन करने पर गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं जैसे चकत्ते, मतली और पेट दर्द हो सकते हैं।
अमेरिका में अल्फा-गैल सिंड्रोम का प्रभाव
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अमेरिका में लगभग 450,000 लोग इस स्थिति से प्रभावित हो सकते हैं। सर्बिया में भी इस सिंड्रोम का पहला मामला सामने आया है। टिक की बढ़ती आबादी के कारण यह बीमारी अब वैश्विक स्तर पर फैल रही है। चिंता की बात यह है कि कई चिकित्सक अभी भी इस बीमारी से अनजान हैं, जिससे निदान में देरी होती है।
लक्षण और उपचार के उपाय
इस बीमारी के लक्षण खाने के दो से छह घंटे बाद प्रकट होते हैं, जिससे कारण का पता लगाना कठिन हो जाता है। फिलहाल, इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन रेड मीट, डेयरी और पशु-आधारित सामग्री से परहेज करना आवश्यक है। टिक के काटने से बचाव भी महत्वपूर्ण है।