ट्रांसफैट का ध्यान रखें:
स्नैक्स, बिस्किट, चिप्स और अन्य तले हुए उत्पादों में अक्सर ट्रांसफैट पाया जाता है। यह एक प्रकार की असंतृप्त वसा है जो वेजिटेबल ऑइल में हाइड्रोजनीकरण प्रक्रिया से मिलाई जाती है। इसका उपयोग खाद्य उत्पादों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। ट्रांसफैट मोटापे, लिवर और हृदय संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, इनका सेवन कम से कम करना चाहिए। कई बार पैकेजिंग पर अन्य प्रकार के फैट का उल्लेख होता है, लेकिन ट्रांसफैट का नहीं। ऐसे में, पैकेजिंग पर दिए गए कुल फैट से पॉलीअनसैच्युरेटिड, मोनोअनसैच्युरेटिड और सैच्युरेटिड फैट को घटाने पर जो अंतर मिलता है, वह ट्रांसफैट होता है।
एक्सपायरी डेट का ध्यान रखें:
जिन खाद्य पदार्थों की एक्सपायरी डेट समाप्त हो चुकी है, उन्हें न खरीदें। ऐसे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। कभी-कभी टिन में बंद उत्पादों पर एक्सपायरी डेट सही होती है, लेकिन टिन फूली या पिचकी हो सकती है, जिससे फंगस हो सकता है। इसके अलावा, जिन उत्पादों की पैकेजिंग थोड़ी भी खुली हो, उन्हें खरीदने से बचें।
रासायनिक तत्वों से बचें:
प्रिजर्वेटिव कैमिकल: खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए प्रिजर्वेटिव का उपयोग किया जाता है। ये कैमिकल्स शरीर को धीरे-धीरे बीमार कर सकते हैं और कैंसर व हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकते हैं।
टेस्ट इन्हैंसर: खाद्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने के लिए टेस्ट इन्हैंसर का उपयोग किया जाता है, जिससे मोटापा, याददाश्त में कमी, थायरॉइड, अनियमित माहवारी और पेट में अल्सर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
आर्टिफिशियल स्वीटनर: बाजार में मिलने वाले जूस और फ्लेवर्ड मिल्क भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। इनमें प्रिजर्वेटिव्स के साथ मिठास बढ़ाने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग किया जाता है, जो बच्चों में मोटापे और डायबिटीज का एक बड़ा कारण बन रहा है।