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रेलवे स्टेशनों पर खाद्य कीमतों में भारी वृद्धि: यात्रियों पर आर्थिक दबाव

उत्तर रेलवे द्वारा हाल ही में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने यात्रियों को आर्थिक बोझ में डाल दिया है। नई रेट लिस्ट में 51 खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ाए गए हैं, जिसमें गुलाब जामुन और छोले-पूड़ी जैसी लोकप्रिय चीजें शामिल हैं। यात्रियों की शिकायतें बढ़ रही हैं कि महंगे खाने के बावजूद स्वच्छता और गुणवत्ता में कमी है। जानें इस बढ़ोतरी के पीछे का कारण और यात्रियों की प्रतिक्रियाएँ।
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रेलवे स्टेशनों पर खाद्य कीमतों में भारी वृद्धि: यात्रियों पर आर्थिक दबाव

रेलवे स्टेशनों पर खाद्य कीमतों में वृद्धि

रेलवे स्टेशनों पर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में हालिया वृद्धि ने यात्रियों को चिंता में डाल दिया है। उत्तर रेलवे ने दिल्ली, अंबाला, जम्मू, फिरोजपुर, लखनऊ और मुरादाबाद के स्टेशनों पर 51 खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ा दिए हैं। अब गुलाब जामुन की कीमत 30 रुपये और छोले-पूड़ी की कीमत 40 रुपये हो गई है। यह वृद्धि 2012 के बाद पहली बार हुई है, जिससे यात्रियों की जेब पर असर पड़ा है।


उत्तर रेलवे के स्टेशनों पर खाद्य पदार्थों की नई मूल्य सूची लागू हो चुकी है। इडली-सांबर, जो पहले 12 रुपये में मिलती थी, अब 20 रुपये की हो गई है। मसाला डोसा की कीमत 15 से 30 रुपये और छोले-भटूरे की कीमत 31 से 50 रुपये तक बढ़ गई है। वेज बिरयानी की कीमत 42 से 70 रुपये तक पहुंच गई है। पाव-भाजी, समोसा और वेज सैंडविच जैसे लोकप्रिय खाद्य पदार्थ भी महंगे हो गए हैं। इन कीमतों में जीएसटी शामिल है।


इस वृद्धि ने यात्रियों के लिए आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है। कई खाद्य वस्तुओं की कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं। पहले से ही रेलवे स्टालों पर उच्च कीमतों की शिकायतें थीं, और अब नई मूल्य सूची ने यात्रियों का बजट बिगाड़ दिया है। दाल-चावल की कीमत 20 से 40 रुपये और राजमा-चावल की कीमत 30 से 50 रुपये हो गई है। गर्म दूध और मिठाई जैसे आइटम अब ब्रांडेड एमआरपी पर बिकेंगे। यात्रियों का कहना है कि यह वृद्धि उनके लिए बहुत भारी पड़ रही है।


उत्तर रेलवे का कहना है कि 2012 के बाद खाद्य वस्तुओं की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ था, और लागत में वृद्धि के कारण यह निर्णय लिया गया। रेलवे स्टेशन खाद्य मूल्य वृद्धि केवल स्टालों और भोजनालयों तक सीमित है। हालांकि, यात्रियों को उम्मीद है कि रेलवे गुणवत्ता पर भी ध्यान देगा। कई लोग शिकायत करते हैं कि महंगे खाने के बावजूद स्वच्छता और ताजगी की कमी रहती है। रेलवे को इस दिशा में भी कदम उठाने होंगे।