रोहतक PGIIMS में किडनी ट्रांसप्लांट की बढ़ती जरूरतें और चुनौतियाँ

रोहतक PGIIMS में किडनी रोगियों की संख्या में वृद्धि
Kidney transplant Rohtak PGI, (रोहतक) : रोहतक के PGIIMS में किडनी से संबंधित बीमारियों के शिकार मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। चिकित्सकों का मानना है कि बिना चिकित्सकीय परामर्श के एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाओं का सेवन किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। पिछले वर्ष नेफ्रोलॉजी विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन 50 मरीज आते थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 150 हो गई है। कई मरीजों की किडनी इतनी खराब हो चुकी है कि उन्हें ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, लेकिन डोनर की कमी के कारण यह प्रक्रिया समय पर नहीं हो पा रही है। PGIIMS में किडनी ट्रांसप्लांट मुफ्त में किया जाता है, और क्रॉस मैचिंग टेस्ट के लिए दिल्ली की एक लैब से करार किया गया है, जिसका खर्च 50,000 से 60,000 रुपये है।
ट्रांसप्लांट में आने वाली चुनौतियाँ
ट्रांसप्लांट में चुनौतियां
PGIIMS में फरवरी 2024 से नोडल अधिकारी डॉ. अंकुर गोयल के नेतृत्व में रेनल ट्रांसप्लांटेशन कार्यक्रम की शुरुआत हुई है। इसमें मृत शरीर (कैडैवेरिक) और परिवार/रिश्तेदारों (लाइव रिलेटेड) से किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। अब तक 22 मरीजों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है, जिसमें 4 कैडैवेरिक हैं। हालांकि, 130 मरीजों को अभी ट्रांसप्लांट की सख्त आवश्यकता है, और डोनर न मिलने के कारण समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। हर सप्ताह केवल एक ट्रांसप्लांट हो पा रहा है, जो मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले बहुत कम है।
बीमारियों के कारण
बीमारी का कारण
डॉ. अंकुर गोयल ने बताया कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और बिना सलाह के एंटीबायोटिक्स का सेवन किडनी की बीमारियों का मुख्य कारण है। छोटी-मोटी समस्याओं पर लोग बिना चिकित्सकीय सलाह के स्ट्रॉन्ग दवाएं ले लेते हैं, जिसका प्रतिकूल प्रभाव किडनी पर पड़ता है। विशेष रूप से डायबिटीज और उच्च रक्तचाप के मरीजों में यह समस्या अधिक देखी जा रही है। पिछले वर्ष की तुलना में ओपीडी में मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ी है, जो चिंताजनक है।
प्रारंभिक उपचार का महत्व
शुरुआती इलाज जरूरी
चिकित्सकों ने सलाह दी है कि किडनी की छोटी समस्याओं को नजरअंदाज न करें। प्रारंभिक चरण में उपचार कराने से ट्रांसप्लांट की आवश्यकता को टाला जा सकता है। PGIIMS में मरीजों को मुफ्त चिकित्सा और बेहतर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण लोग समय पर उपचार नहीं कराते। यदि आप भी बिना सलाह दवाएं ले रहे हैं, तो सावधान रहें, क्योंकि यह आपकी किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है।