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लखनऊ के कैंसर संस्थान में जांच की कमी, मरीजों को प्राइवेट लैब भेजने का मामला

लखनऊ के कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में मरीजों की जांच नहीं हो रही है, जबकि महंगी मशीनों के लिए करोड़ों का बजट आवंटित किया गया है। डॉक्टर मरीजों को प्राइवेट लैब भेज रहे हैं, जहां उन्हें भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। यह स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी को दर्शाती है। जानें इस मामले में और क्या जानकारी सामने आई है।
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लखनऊ के कैंसर संस्थान में जांच की कमी, मरीजों को प्राइवेट लैब भेजने का मामला

लखनऊ में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति

लखनऊ। उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। यहां पर हजारों करोड़ रुपये की लागत से बने अस्पताल में मरीजों की जांच नहीं हो रही है, जबकि महंगी मशीनों की खरीद के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। इसके बावजूद, गरीब मरीज महंगी जांच के लिए दर-दर भटक रहे हैं, जबकि सरकार उनकी मदद करने के बजाय उन पर और बोझ डाल रही है।


कल्याण सिंह कैंसर संस्थान की स्थिति

हम यहां कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान की बात कर रहे हैं, जहां मरीजों की जांच बाहरी लैब में कराई जा रही है। यह सवाल उठता है कि, इतनी बड़ी लागत से बने इस संस्थान में जांच के लिए आवंटित बजट केवल कागजों तक ही सीमित क्यों रह गया है?


डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट लैब में भेजना

पिछले साल, कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को उपकरणों की खरीद के लिए 150 करोड़ रुपये का बजट मिला था। इसके बावजूद, मरीजों को जांच के लिए बाहर भेजा जा रहा है। मजबूरी में, मरीज हजारों रुपये खर्च कर अपनी जांच करवा रहे हैं। यह जानकर हैरानी होती है कि इतनी बड़ी राशि के आवंटन के बावजूद मरीजों को बाहर भेजने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है?


प्राइवेट लैब में मरीजों की संख्या

जांच के लिए डॉक्टर प्राइवेट लैब भेज रहे हैं
जब हमने इस मामले की जांच की, तो पता चला कि कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के डॉक्टर मरीजों को प्राइवेट लैब भेज रहे हैं। वे फोन पर मरीजों का पूरा विवरण भी दे रहे हैं, जिससे उन्हें कमीशन मिलता है। एक मरीज ने इस बारे में जानकारी दी है।


लोहिया और पीजीआई में लंबी वेटिंग

LUCKNOW IMAGING CENTRE और SRMS लैब में मरीजों की संख्या
जांच के लिए मरीजों को LUCKNOW IMAGING CENTRE और SRMS लैब भेजा जा रहा है। यहां डॉक्टर कैंसर के मरीजों को जांच के लिए भेजते हैं और पहले से ही लैब में बात कर मरीज का विवरण देते हैं। मरीज यहां पहुंचकर जांच के लिए भारी रकम खर्च कर रहे हैं। इसके पीछे डॉक्टरों के कमीशन की बात की जा रही है।

लोहिया, पीजीआई में महीनों की वेटिंग
कैंसर संस्थान के डॉक्टर मरीजों को लोहिया और पीजीआई में भेजते हैं, जहां पांच से छह महीनों की वेटिंग होती है। ऐसे में मरीज डॉक्टरों द्वारा बताए गए लैब में जांच कराने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जहां उन्हें हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।