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लखनऊ में निजी एंबुलेंस की दरें उड़ान से भी अधिक

लखनऊ में निजी एंबुलेंस की दरें उड़ान से भी महंगी हो गई हैं, जिससे मरीजों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, एंबुलेंस चालकों का एक सिंडिकेट मरीजों को सरकारी अस्पतालों से निजी अस्पतालों में स्थानांतरित करने में सक्रिय है। कोविड के दौरान निर्धारित दरें अब तक अपडेट नहीं की गई हैं, जिससे निजी एंबुलेंस चालक मनमानी कर रहे हैं। जानें इस मुद्दे के पीछे की सच्चाई और स्वास्थ्य विभाग की भूमिका।
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लखनऊ में निजी एंबुलेंस की दरें उड़ान से भी अधिक

महंगी एंबुलेंस सेवाएं

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में निजी एंबुलेंस सेवाएं हवाई यात्रा से भी महंगी साबित हो रही हैं। हालांकि, इन एंबुलेंस में सुविधाएं हवाई जहाज की तुलना में बेहतर नहीं हो सकतीं, लेकिन किराया निश्चित रूप से अधिक है। लखनऊ से दिल्ली की लगभग 550 किलोमीटर की यात्रा के लिए आपको हवाई यात्रा का रिटर्न टिकट 8,000 से 10,000 रुपये में मिल जाएगा, जबकि इसी दूरी के लिए निजी एंबुलेंस का किराया 14,000 से 22,000 रुपये तक होता है। साधारण से लेकर जीवन समर्थन सुविधाओं वाली एंबुलेंस के लिए ये दरें भिन्न हो सकती हैं।


हालांकि यह तथ्य समझना थोड़ा कठिन हो सकता है, लेकिन यह सत्य है। एक रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को तीन सरकारी अस्पतालों के बाहर मौजूद निजी एंबुलेंस के लिए मरीजों को ले जाने की दरों पर चर्चा की गई, जो पूरी तरह से वास्तविकता को दर्शाती है।


एंबुलेंस चालकों का सिंडिकेट

निजी एंबुलेंस चालक चला रहे सिंडिकेट
सूत्रों के अनुसार, निजी एंबुलेंस चालकों ने मरीजों की दलाली के लिए एक सिंडिकेट बना रखा है। ये चालक सरकारी अस्पतालों से मरीजों को निजी अस्पतालों में स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बदले में, निजी अस्पताल उन्हें अच्छा कमीशन देते हैं। ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस सिंडिकेट को तोड़ने में असफल रहा है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि जिम्मेदार सरकारी अस्पतालों के बाहर से इन निजी एंबुलेंसों को हटाने में भी कोई सफलता नहीं मिल रही है।


कोविड के दौरान निर्धारित दरें

कोविड के दौरान तय हुए थे रेट
कोविड महामारी के दौरान एंबुलेंस की दरों में मनमानी बढ़ गई थी। उस समय ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमतें भी बहुत अधिक थीं। तब स्वास्थ्य विभाग ने एंबुलेंस के लिए दरों का एक ढांचा तैयार किया था, जिसे जिलाधिकारी ने मंजूरी दी थी। 10 किलोमीटर की दूरी के लिए एंबुलेंस का किराया 500 रुपये निर्धारित किया गया था। कोविड के बाद से एंबुलेंस की दरें फिर से निर्धारित नहीं की गई हैं, जिसका लाभ निजी एंबुलेंस चालक उठा रहे हैं।