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लालू प्रसाद के परिवार की कानूनी चिंताएँ बढ़ीं, सुनवाई में देरी की कोशिशें जारी

बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद, लालू प्रसाद का परिवार गंभीर कानूनी संकट में है। परिवार में आपसी मतभेद बढ़ रहे हैं, और रेलवे से जुड़े मामलों की सुनवाई को लेकर चिंता बढ़ गई है। परिवार के सदस्य सुनवाई को टालने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि लालू प्रसाद पहले ही चारा घोटाले से जुड़े मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं। इस स्थिति में तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी भी शामिल हैं, जो अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। क्या परिवार इन कानूनी चुनौतियों से पार पाएगा? जानें पूरी कहानी में।
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लालू प्रसाद के परिवार की कानूनी चिंताएँ बढ़ीं, सुनवाई में देरी की कोशिशें जारी

लालू प्रसाद का परिवार कानूनी संकट में

बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद, लालू प्रसाद का परिवार गंभीर कानूनी समस्याओं का सामना कर रहा है। परिवार में आपसी मतभेद बढ़ रहे हैं, और इस बीच रेलवे से जुड़े मामलों की सुनवाई के परिणामों को लेकर चिंता बढ़ गई है। परिवार के सदस्य किसी भी तरह से सुनवाई को टालने या उसमें देरी कराने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उन्हें प्रबंधन के उपाय करने का समय मिल सके। हालांकि, अभी तक कोई ठोस उपाय नजर नहीं आ रहा है। एक करीबी सूत्र ने बताया कि लालू प्रसाद इस बात से चिंतित हैं कि उनके परिवार के अन्य सदस्य जेल जा सकते हैं। तेजस्वी यादव भी इस स्थिति से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें अपने पिता के कार्यकाल की गलतियों का राजनीतिक और कानूनी दोनों तरह से खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।


चारा घोटाले में लालू प्रसाद की स्थिति

लालू प्रसाद पहले ही चारा घोटाले से जुड़े तीन मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं, जबकि दो मामले अभी बाकी हैं। इन मामलों की सुनवाई टल गई है, लेकिन अगर सुनवाई होती है, तो सजा की संभावना बनी हुई है। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन देने और आईआरसीटीसी के टेंडर से जुड़े मामलों में आरोप तय हो चुके हैं। इस मामले में अभियोजन पक्ष सबूत इकट्ठा कर रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अदालत में याचिका दायर की है कि मौजूदा अदालत में सुनवाई निष्पक्ष नहीं हो सकती, क्योंकि जज पहले से ही एक निश्चित नतीजे की ओर बढ़ रहे हैं।


सुनवाई में देरी की कोशिशें

बिहार चुनाव के दौरान, लालू प्रसाद ने अदालत में याचिका दायर की थी कि रेलवे से जुड़े मामलों की रोजाना सुनवाई को रोका जाए। उनका तर्क था कि रोजाना सुनवाई नहीं होनी चाहिए, लेकिन अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी। परिवार को यह डर है कि इन मामलों में सभी को दोषी ठहराया जा सकता है, जिससे उन्हें जेल जाना पड़ सकता है। इन मामलों में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, उनकी बेटी मीसा भारती और बेटे तेजस्वी तथा तेज प्रताप यादव भी आरोपी हैं। पिछले साल अक्टूबर में सभी को जमानत मिली थी, और अब मामले की सुनवाई चल रही है। यदि रोजाना सुनवाई होती है, तो छह महीने के भीतर फैसले की संभावना है। लालू प्रसाद के बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारियों का सजायाफ्ता होना राष्ट्रीय जनता दल के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा।