लिवर कैंसर से बचने के लिए छोड़ें ये आदतें

लिवर कैंसर: कारण और बचाव
Liver Cancer: लिवर से जुड़ी समस्याएं अक्सर खराब जीवनशैली और गलत खानपान के कारण उत्पन्न होती हैं। यदि खानपान में सही चीजें शामिल नहीं की जाती हैं, तो यह लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। लगातार होने वाले क्रोनिक लिवर डैमेज से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जैसे लिवर सिरोसिस, फैटी लिवर डिजीज और लिवर कैंसर। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में बताया है कि कौन सी आदतें लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उनका कहना है कि यदि इन आदतों को छोड़ दिया जाए, तो लिवर डैमेज को कम किया जा सकता है और लिवर कैंसर का खतरा भी घट सकता है।
लिवर कैंसर के संभावित कारण
प्रोसेस्ड मीट: प्रोसेस्ड मीट का सेवन लिवर के लिए हानिकारक होता है। इनमें नाइट्रेट्स, प्रिजर्वेटिव्स और केमिकल एडिटिव्स की अधिकता होती है, जो लिवर में जमा होने लगते हैं। लिवर शरीर के टॉक्सिंस को फिल्टर करता है, लेकिन यदि यह हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आता है, तो लिवर सेल डैमेज होने लगते हैं। इसलिए, लिवर कैंसर से बचने के लिए प्रोसेस्ड मीट का सेवन कम करें।
एल्कोहल का सेवन: शराब का सेवन लिवर कैंसर के प्रमुख कारणों में से एक है। डॉ. सेठी के अनुसार, न केवल देसी शराब, बल्कि रेड वाइन और बियर भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकती हैं। लिवर एल्कोहल को मेटाबॉलाइज करता है, जिससे फैट जमा होता है और लिवर में स्कारिंग होती है, जो लिवर सिरोसिस का कारण बन सकती है।
तली चीजें: तली हुई चीजों का अधिक सेवन भी लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। फ्रेंच फ्राइज, पकौड़े और फ्राइड चिकन जैसे फूड्स में अनहेल्दी फैट्स होते हैं, जो लिवर पर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाते हैं।
शुगरी ड्रिंक्स: शुगरी ड्रिंक्स, जैसे सोडा और मीठे जूस, लिवर में फैट जमा करने का कारण बनते हैं और नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर का कारण बन सकते हैं।
लिवर डैमेज को कैसे रिवर्स करें
लिवर कैंसर से बचने और लिवर डैमेज को कम करने के लिए खानपान और जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक है। प्रोसेस्ड फूड्स के बजाय ताजे फल और सब्जियों का सेवन करें। इसके अलावा, एल्कोहल का सेवन बंद करें और शुगरी ड्रिंक्स के स्थान पर पानी और हर्बल टी का सेवन करें। नियमित व्यायाम भी लिवर की सेहत के लिए फायदेमंद है।
लिवर कैंसर के लक्षण
- लिवर में या उसके आस-पास दर्द महसूस होना।
- पेट में सूजन।
- दाएं कंधे के आगे और पीछे दर्द।
- पीलिया या त्वचा का पीला होना।
- दाईं पसली के नीचे सूजन।
- चोट लगने पर खून निकलना।
- कमजोरी और थकान।
- भूख में कमी और वजन कम होना।