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ल्यूकेमिया के लक्षण: आंखों का पीला रंग और अन्य चेतावनियाँ

ल्यूकेमिया एक गंभीर रक्त कैंसर है, जिसके लक्षणों में आंखों का पीला होना शामिल है। यह स्थिति शरीर में बिलिरुबिन के बढ़ने का संकेत देती है। इस लेख में, हम ल्यूकेमिया के लक्षण, इसके जोखिम कारक और बचाव के उपायों पर चर्चा करेंगे। जानें कि कैसे इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है और इसके शुरुआती संकेतों को पहचान सकते हैं।
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ल्यूकेमिया के लक्षण: आंखों का पीला रंग और अन्य चेतावनियाँ

ल्यूकेमिया के लक्षण

ल्यूकेमिया के लक्षण: ल्यूकेमिया एक प्रकार का कैंसर है जो जीवन के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। यह बीमारी रक्त को प्रभावित करती है, जिससे शरीर में संक्रमण फैल सकता है। यदि इसका समय पर पता नहीं लगाया गया, तो यह धीरे-धीरे रक्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस बीमारी का एक प्रमुख लक्षण आंखों का पीला होना है, जो पीलिया के साथ-साथ रक्त कैंसर का भी संकेत हो सकता है। आइए इस विषय पर और जानकारी प्राप्त करें।


आंखों का पीला रंग कैसे बनता है संकेत?

NCBI की एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को कैंसर के साथ लिवर की समस्या होती है, तो उसकी आंखों का रंग पीला हो सकता है। कैंसर की कोशिकाएँ रक्त को दूषित कर देती हैं, जिससे शरीर में बिलिरुबिन का स्तर बढ़ जाता है। यही कारण है कि आंखों और कभी-कभी शरीर का रंग भी पीला दिखाई देने लगता है।


ल्यूकेमिया कैंसर की गंभीरता

ल्यूकेमिया रक्त कैंसर की एक श्रेणी है, जिसमें कैंसर की कोशिकाएँ बोन मैरो में विकसित होती हैं। बोन मैरो हड्डियों के बीच स्थित नरम ऊतकों का समूह है, जो रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है। यदि इनमें से कोई कोशिका अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती है, तो वह कैंसर का रूप ले लेती है।


ल्यूकेमिया का जोखिम किसे अधिक होता है?

  • यह कैंसर बच्चों और वृद्धों में अधिक पाया जाता है।
  • यदि परिवार में किसी को ल्यूकेमिया या रक्त कैंसर हुआ है, तो जोखिम बढ़ जाता है।
  • रेडिएशन जैसे X-ray और परमाणु हमले के संपर्क में रहने से कैंसर का खतरा बढ़ता है।
  • कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी के बाद भी यह कैंसर हो सकता है।
  • कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों, जैसे कि AIDS के मरीजों को यह कैंसर हो सकता है।
  • धूम्रपान करने वालों में भी यह कैंसर अधिक पाया जाता है।


ब्लड कैंसर के 9 संकेत

  • रात में पसीना आना या जल्दी थकान होना।
  • सांसों का फूलना।
  • रात के समय बुखार होना।
  • बार-बार संक्रमण होना।
  • वजन में कमी आना।
  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना।
  • लिम्फ नोड्स में सूजन होना।
  • मसूड़ों और नाक से खून आना।
  • हल्की चोट लगने पर त्वचा का नीला पड़ जाना।


कैसे होगा बचाव?

  • धूम्रपान और तंबाकू से दूर रहें।
  • हानिकारक रसायनों के संपर्क से बचें।
  • रेडिएशन से बचाव करें।
  • संतुलित आहार का सेवन करें।
  • पर्याप्त नींद लें।
  • तनाव को कम करें।