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वायु प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव: समय से पहले जन्म का खतरा

हालिया अध्ययन ने वायु प्रदूषण के गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव को उजागर किया है, जिसमें प्रीमैच्योर बर्थ का खतरा शामिल है। एमोरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं समय से पहले जन्म देने के जोखिम में हैं। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि पीएम2.5 जैसे प्रदूषक गर्भस्थ शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस शोध के परिणाम चिंताजनक हैं और प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाते हैं।
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वायु प्रदूषण का गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव: समय से पहले जन्म का खतरा

वायु प्रदूषण और गर्भावस्था

वायु प्रदूषण के प्रभाव: वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पहले से ही ज्ञात है, लेकिन हालिया अध्ययन ने एक और गंभीर खतरे की ओर संकेत किया है। अमेरिका की एमोरी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में बताया गया है कि वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर बर्थ (समय से पहले जन्म) के जोखिम को बढ़ा सकता है।


अध्ययन की पृष्ठभूमि

यह अध्ययन अमेरिका के अटलांटा महानगरीय क्षेत्र में 330 अफ्रीकी-अमेरिकी गर्भवती महिलाओं पर किया गया। शोधकर्ताओं ने इन महिलाओं के रक्त के नमूनों का विश्लेषण किया और पाया कि जो महिलाएं अधिक प्रदूषित क्षेत्रों जैसे डाउनटाउन और मिडटाउन में रह रही थीं, वे बाहरी क्षेत्रों की महिलाओं की तुलना में अधिक प्रदूषण के संपर्क में थीं।


PM2.5 का प्रभाव

PM2.5 और स्वास्थ्य पर प्रभाव

शोधकर्ताओं का कहना है कि वाहनों से निकलने वाला धुआं, विशेषकर पीएम2.5, इन महिलाओं के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। इसके कारण 'कॉर्टेक्सोलोन' और 'लाइसोपीई (20:3)' जैसे बायोमार्कर्स में परिवर्तन देखा गया। कॉर्टेक्सोलोन एक ग्लूकोकॉर्टिकॉइड है जो शरीर के मेटाबॉलिज्म, सूजन और इम्यून फंक्शन को नियंत्रित करता है, जबकि लाइसोपीई कोशिकाओं के कार्य के लिए आवश्यक लिपिड है।


शिशु के विकास पर प्रभाव

शिशु विकास पर नकारात्मक प्रभाव

अध्ययन में यह भी पाया गया कि वायु प्रदूषण प्रोटीन पाचन और अवशोषण में बाधा डाल सकता है, जो भ्रूण के विकास और इम्यून सिस्टम के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।


शोधकर्ता की टिप्पणी

शोधकर्ता का बयान

एमोरी यूनिवर्सिटी में पर्यावरण स्वास्थ्य के एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक डोंगहाई लियांग ने कहा, 'यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि हम 'क्यों' और 'कैसे' का पता लगा सकें, तो हम बेहतर तरीके से समझ सकेंगे कि इसका समाधान कैसे किया जाए।'


चौंकाने वाले आंकड़े

रिपोर्ट में मिले चौंकाने वाले आंकड़े

शोध में पाया गया कि 330 प्रतिभागी महिलाओं में से 66 (लगभग 20%) ने 37 सप्ताह से पहले बच्चों को जन्म दिया और 54 (16.4%) ने 37 से 38 सप्ताह के बीच डिलीवरी की। ये आंकड़े चिंताजनक हैं और प्रदूषण नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाने की आवश्यकता को दर्शाते हैं।