विटामिन-ई: स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्व
विटामिन-ई का महत्व
नई दिल्ली: एक स्वस्थ शरीर के लिए केवल बाहरी देखभाल ही नहीं, बल्कि आंतरिक पोषण भी आवश्यक है। असली ताकत सही पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिनों से मिलती है। आज हम विटामिन-ई के बारे में चर्चा करेंगे। यह आमतौर पर "त्वचा का विटामिन" माना जाता है, लेकिन यह केवल इतना ही नहीं है। विटामिन-ई शरीर के हर हिस्से को ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
विटामिन-ई एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर की कोशिकाओं की सुरक्षा करता है और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। इसका मुख्य कार्य कोशिकाओं को स्वस्थ रखना और झिल्ली को मजबूत बनाना है। यह न केवल सौंदर्य को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि हृदय स्वास्थ्य, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और मस्तिष्क तथा तंत्रिका तंत्र की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यदि शरीर में विटामिन-ई की कमी होती है, तो यह कई संकेत देता है। कमी के लक्षण धीरे-धीरे प्रकट होते हैं और यदि इसे नजरअंदाज किया जाए, तो यह गंभीर हो सकता है। विटामिन-ई की कमी से त्वचा में सूखापन, समय से पहले झुर्रियां, मांसपेशियों की कमजोरी, दृष्टि में कमी, नसों में कमजोरी, बार-बार एलर्जी, बालों का झड़ना, थकान और ऊर्जा की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
यदि कमी अत्यधिक हो, तो यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। यह जानना आवश्यक है कि वयस्क पुरुषों और महिलाओं को प्रतिदिन 10-15 एमजी विटामिन-ई की आवश्यकता होती है। विटामिन-ई प्राकृतिक रूप से भोजन में उपलब्ध होता है और इसे खाने से शरीर को अधिक ऊर्जा मिलती है।
विटामिन-ई के अच्छे स्रोतों में बादाम, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियां, अंकुरित अनाज, सरसों और तिल का तेल, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली और एवोकाडो शामिल हैं। विटामिन-ई का सेवन हमेशा वसा युक्त खाद्य पदार्थों के साथ करना चाहिए, जैसे घी या तेल युक्त चीजें, क्योंकि वसा के साथ यह शरीर में तेजी से अवशोषित होता है। इसके अलावा, हरी सब्जियों को अधिक न पकाएं, क्योंकि पकाने से उनमें मौजूद विटामिन कम हो जाते हैं।
