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विटामिन-डी की कमी: जानें इसके संकेत और प्राकृतिक स्रोत

विटामिन-डी की कमी अब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो लाखों भारतीयों को प्रभावित कर रही है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, हर पांच में से एक व्यक्ति इस कमी का सामना कर रहा है, जिससे हड्डियों में समस्याएं और दीर्घकालिक दिव्यांगता का खतरा बढ़ता है। जानें विटामिन-डी के संकेत, इसके प्राकृतिक स्रोत और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
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विटामिन-डी की कमी: जानें इसके संकेत और प्राकृतिक स्रोत

विटामिन-डी की कमी: एक गंभीर समस्या

विटामिन-डी की कमी: यह अब केवल एक पोषण संबंधी समस्या नहीं रह गई है, बल्कि भारत में लाखों लोगों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, हर पांच में से एक भारतीय इस विटामिन की कमी से प्रभावित है। इसके परिणामस्वरूप हड्डियों में समस्याएं, फ्रैक्चर और दीर्घकालिक दिव्यांगता का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि विटामिन-डी हड्डियों और दैनिक जीवन के लिए क्यों आवश्यक है।


रिपोर्ट के अनुसार स्थिति

रिपोर्ट में बताया गया है कि एक हिप फ्रैक्चर के कारण मरीज को ठीक होने में एक साल लग सकता है, जिससे परिवार और स्वास्थ्य प्रणाली पर आर्थिक दबाव बढ़ता है। इस अध्ययन को ICRIER और ANVKA ने मिलकर किया है। उन्होंने यह भी पाया कि भारत में विटामिन बी-12 और आयरन के बाद विटामिन-डी की कमी सबसे अधिक है। इसे समय पर ठीक करना आवश्यक है ताकि बुढ़ापे में समस्याएं न आएं।


विटामिन-डी की आवश्यकता कब होती है?

हड्डियों की मजबूती और उपचार के लिए आवश्यक: आकाश हेल्थकेयर के ऑर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट विभाग के प्रमुख डॉ. आशीष चौधरी के अनुसार, जब फ्रैक्चर वाले मरीजों में विटामिन-डी का स्तर कम होता है, तो उनकी ठीक होने की प्रक्रिया में देरी होती है। इसके सप्लीमेंट लेने से रिकवरी तेज होती है और परिणाम बेहतर होते हैं।


कैल्शियम के लिए आवश्यक: विटामिन-डी हड्डियों में कैल्शियम के अवशोषण और नई हड्डी के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि इसका सप्लीमेंट हड्डियों की मजबूती, दर्द में कमी और पोस्ट-फ्रैक्चर रिस्क को कम करने में मदद करता है।


विटामिन D के प्राकृतिक स्रोत


  • धूप: प्रतिदिन 15-20 मिनट सुबह की धूप में बिताएं।

  • फैटी फिश जैसे सालमन, टूना और मैकेरल का सेवन करें।

  • फोर्टिफाइड डेयरी उत्पादों का उपयोग करें।

  • यदि कमी अधिक हो, तो सप्लीमेंट्स का सेवन करें।


धूप से कैसे मिलेगी विटामिन-डी?

डॉ. चौधरी बताते हैं कि बदलती जीवनशैली, प्रदूषण और घर के अंदर अधिक समय बिताने के कारण लोगों में विटामिन-डी की कमी बढ़ रही है। यदि कोई व्यक्ति हर दिन केवल 15-20 मिनट का आउटडोर एक्सपोजर लेता है, खासकर शहरी क्षेत्रों में, तो उन्हें इसकी कमी के लिए दवा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।


विटामिन-डी की कमी के संकेत


  • हड्डियों और जोड़ों में दर्द।

  • दांतों और मसूड़ों में कमजोरी।

  • बालों का तेजी से गिरना।

  • कमजोर इम्यूनिटी।

  • नींद की समस्या।

  • मूड स्विंग्स।

  • घावों का न भरना।

  • शरीर में दर्द।