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विदुर नीति: घर बनाने के लिए 5 अशुभ स्थानों से बचें

हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका एक सुंदर और शांतिपूर्ण घर हो, लेकिन विदुर नीति के अनुसार, कुछ स्थान ऐसे हैं जहां घर बनाना अशुभ माना जाता है। इस लेख में हम उन 5 स्थानों के बारे में जानेंगे, जहां घर नहीं बनाना चाहिए। ये स्थान न केवल आर्थिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और सामाजिक दृष्टि से भी हानिकारक हो सकते हैं। जानें कि ये स्थान कौन से हैं और क्यों इनसे दूरी बनाना आवश्यक है।
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विदुर नीति: घर बनाने के लिए 5 अशुभ स्थानों से बचें

विदुर नीति: घर बनाने के लिए सही स्थान का चयन

Vidur Niti: हर किसी का सपना होता है कि उसका एक सुंदर और शांतिपूर्ण घर हो, लेकिन यह केवल ईंट-पत्थरों से नहीं बनता, बल्कि सही स्थान और सकारात्मक वातावरण से भी बनता है। महाभारत के एक प्रमुख पात्र विदुर ने अपनी नीति पुस्तक 'विदुर नीति' में 5 ऐसे स्थानों का उल्लेख किया है, जहां इंसान को घर नहीं बनाना चाहिए।


विदुर जी के अनुसार, हर किसी का घर बनाने का सपना होता है, लेकिन यह सपना हर किसी के लिए साकार नहीं हो पाता। वे बताते हैं कि इन 5 स्थानों पर घर बनाना भूल से भी नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं ये स्थान कौन से हैं और क्यों इनसे दूरी बनाना आवश्यक है?


जहां आजीविका का साधन न हो

विदुर के अनुसार, ऐसे स्थान पर घर बनाना जहां रोजगार या व्यापार के अवसर न हों, व्यर्थ है। बिना आय के स्रोत के जीवन जीना कठिन हो जाता है। इसलिए ऐसी जगह चुनें जहां कमाई के उचित साधन हों, जिससे परिवार का पालन-पोषण और जीवन स्तर बेहतर हो सके।


भय और असुरक्षा वाला क्षेत्र

यदि किसी स्थान पर हमेशा डर, अपराध या असुरक्षा का माहौल हो, तो वहां घर बनाना मानसिक तनाव का कारण बन सकता है। ऐसे माहौल में बच्चे और बुजुर्ग भी सुरक्षित महसूस नहीं करते। इसलिए निवास की जगह का चुनाव करते समय सुरक्षा को प्राथमिकता दें।


जहां कानून और समाज का डर न हो

विदुर कहते हैं कि जिस जगह के लोग कानून का सम्मान नहीं करते और सामाजिक मर्यादाओं का पालन नहीं करते, वहां का माहौल बिगड़ा हुआ होता है। ऐसे स्थान पर रहना आपके और आपके परिवार के लिए हानिकारक हो सकता है।


लोक लाज और नैतिकता की कमी

जहां लोगों में शर्म और लोक-लाज की भावना न हो, वहां सभ्यता और संस्कार का ह्रास होता है। ऐसे वातावरण में सम्मान, प्रतिष्ठा और सामाजिक विकास संभव नहीं है। अपने बच्चों के चरित्र निर्माण के लिए भी ऐसे स्थानों से दूर रहना चाहिए।


जहां परोपकार और त्याग की भावना न हो

विदुर नीति में बताया गया है कि जिस समाज में लोग केवल स्वार्थी हों और दूसरों के दुख-दर्द में भागीदार न बनें, वहां मानवीयता का कोई मूल्य नहीं होता। ऐसे वातावरण में आत्मिक शांति और सहयोग की भावना नहीं मिलती।