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विशेष चंद्र ग्रहण: पितृपक्ष का दुर्लभ संयोग और सावधानियां

आज रात का चंद्र ग्रहण एक विशेष घटना है, जो पितृपक्ष के साथ मिलकर 122 वर्षों में पहली बार हो रहा है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह ग्रहण भारत के लिए कई संकेत लेकर आया है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। जानें इस ग्रहण का समय, धार्मिक मान्यताएं और ज्योतिषीय प्रभाव क्या हैं।
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विशेष चंद्र ग्रहण: पितृपक्ष का दुर्लभ संयोग और सावधानियां

चंद्र ग्रहण का महत्व और समय

आज रात का चंद्र ग्रहण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह न केवल वर्ष का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण है, बल्कि 122 वर्षों में पहली बार पितृपक्ष और ग्रहण एक साथ आ रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण भारत के लिए कई महत्वपूर्ण संकेत लेकर आया है। धार्मिक दृष्टिकोण से, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को इस समय विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है.


ग्रहण का समय और विशेषताएं

भारतीय समयानुसार, चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू हुआ और यह 1:26 बजे तक जारी रहेगा। छाया स्पर्श का समय 8:59 बजे से प्रारंभ हुआ और पूर्ण मोक्ष 2:24 बजे होगा। पूर्ण चंद्र ग्रहण का चरण 11:00 से 12:22 बजे तक रहेगा, जिसमें इसका पीक टाइम 11:42 बजे होगा। इस दौरान लोग लालिमा लिए ब्लड मून का अद्भुत दृश्य देख सकेंगे। भारत में इससे पहले इतना स्पष्ट पूर्ण चंद्र ग्रहण 2018 में देखा गया था, और अगला अवसर 31 दिसंबर 2028 को आएगा.


धार्मिक मान्यता और पितृपक्ष का संयोग

चंद्र ग्रहण साल में कई बार होते हैं, लेकिन इस बार यह पितृपक्ष के आरंभ के साथ आ रहा है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, ऐसा संयोग 122 वर्षों में पहली बार बन रहा है। श्रद्धालुओं के लिए यह समय विशेष महत्व रखता है। प्रयागराज में संगम घाट पर स्नान और श्राद्धकर्म करने वालों की संख्या बढ़ गई है। गंगा के बढ़े जलस्तर के बावजूद लोग स्नान कर पितरों को तर्पण अर्पित कर रहे हैं, जिससे यह संयोग और भी महत्वपूर्ण हो गया है.


सावधानियां और परंपराएं

ग्रहण के दौरान कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताएं जुड़ी होती हैं। इस समय खाना पकाने और खाने से परहेज करने की परंपरा है। शुभ कार्य और धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। भगवान की मूर्तियों का स्पर्श वर्जित माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को तेज वस्तुओं के उपयोग से बचने की सलाह दी जाती है। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से रोका जाता है। ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, भजन-कीर्तन और ध्यान करने को अत्यंत शुभ माना जाता है.


ज्योतिषीय प्रभाव और भविष्यवाणियां

ज्योतिषियों का मानना है कि यह ग्रहण भारत के लिए कुछ अशुभ संकेत लेकर आया है। विशेष रूप से उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पंजाब में राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियां चुनौतीपूर्ण हो सकती हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की आशंका जताई गई है। बड़े नेताओं के स्वास्थ्य और राजनीतिक स्थिरता पर भी सवाल उठ सकते हैं। इसके साथ ही, भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ने की संभावनाएं भी हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि नग्न आंखों से ग्रहण देखना पूरी तरह सुरक्षित है और इसे टेलीस्कोप या बाइनोकुलर से और स्पष्टता से देखा जा सकता है.